पटना : सुशासन की पुलिस फिर बुरा चेहरा उजागर हुआ है। एक निर्दोष व्यक्ति को रेप करने का दोषी करार दे दिया गया। हालांकि मामले में डीएसपी निसार अहमद पर कार्रवाई की गई और उन्हें इंस्पेक्टर पद पर डिमोट कर दिया गया है। बताया जाता है कि नरकटियागंज में एसडीपीओ रहते उन्होंने एक मामले की जांच में बिना किसी सबूत के एक व्यक्ति को रेप का दोषी बता दिया था। शिकायत के बाद वह निलंबित थे। अब गृह विभाग ने विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें डिमोट कर दिया है। विभाग का कहना है कि निसार अहमद को पुलिस उपाधीक्षक की कोटि में स्थायी रूप से अवनति का दंड दिया गया है।
साठी थाने में 6 अक्टूबर 2018 का मामला
निसार अहमद ने साठी थाने में 6 अक्टूबर 2018 को दर्ज कांड संख्या- 162/2018 में जांच में खिलवाड़ किया गया। यहां शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने और शादी करने से इंकार करने का मामला महाराष्ट्र में रहने वाले जरार शेखर के विरुद्ध दर्ज किया गया था। मामले की जांच निसार अहमद ने की और उन्होंने शिकायतकर्ता की मेडिकल जांच कराए बिना मेडिकल टेस्ट रिपोर्ट को ओके बताया था।
जिलों से मांगी गई थानेदार नहीं बन पाने वालों की सूची
पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों से उन पुलिसकर्मियों की सूची मांगी है, जो थानेदार नहीं बन सकते हैं। गृह विभाग के मुताबिक वैसे पुलिसकर्मी जो किसी मामले में कोर्ट में दोषी पाए गए हैं, किसी कांड में अभियुक्त बने हों, महिलाओं से दुर्व्यवहार का मामला, शराब के निर्माण व तस्करी में संलिप्तता आदि में शामिल पुलिसकर्मी थानेदार नहीं बन सकेंगे।