पटना : बेतिया एसपी ने रिश्वतखोरी को लेकर अपने दो दारोगा समेत छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है। एसपी उपेंद्रनाथ शर्मा ने बुधवार को बताया कि नगर के छावनी आरओबी के पास घूस लेने का वीडियो वायरल होने के बाद मामले की जांच की गई। वायरल वीडियो की जांच में यह बात सामने आई कि वाकई में रिश्वत ली गई है। पूरे मामले में एसडीपीओ मुकूल परिमल पांडेय की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद एसपी ने कार्रवाई की है। एसपी ने यातायात थाने के दारोगा भगीरथ प्रसाद, दारोगा शब्बीर अहमद खां, गृहरक्षक प्रभु यादव और महिला गृहरक्षक गुड़िया कुमारी को सस्पेंड किया है।
इन अधिकारियों का बदला डिपार्टमेंट
गृह विभाग ने बिहार प्रशासनिक सेवा के 11 अधिकारियों का तबादला किया है। ट्रांसफर हुए सभी अधिकारी एडीएम और डिप्टी सेक्रेटरी रैंक के अफसर हैं। कारा विभाग के निदेशक दीवान जफर हुसैन खान को खान एवं भूतत्व विभाग का संयुक्त सचिव बनाया गया है। इसी तरह बिहार विकास मिशन के ओएसडी रजनीश कुमार सिंह को कारा विभाग का संयुक्त सचिव बनाया गया है। इन दोनों के अलावा स्वास्थ्य विभाग, संसदीय कार्य विभाग, निगरानी विभाग, नगर विाकस एवं आवास विभाग और श्रम संसाधन विभाग में ओएसडी के रूप में अफसरों को पदस्थापित किया गया है।
कैदी बोला- आज मेरा बर्थडे है मुझे बेल दें तो जज ने किया मंजूर
नालंदा कोर्ट में बेल दिए जाने का एक कारण सुनकर हर कोई हैरान हो जा रहा है। जिले के न्याय परिषद के जज मानवेंद्र कुमार मिश्र ने एक आरोपी को बेल ही नहीं दिया, बल्कि उसे गिफ्ट देकर रिहा किया। जज के इस फैसले पर किशोर न्याय परिषद के सदस्य धर्मेंद्र कुमार और उषा कुमारी ने भी सहमति जताई। दरअसल, मारपीट के आरोपी ने जज को बताया कि आज उसका जन्मदिन है और वह 18 साल का हो गया है, इसलिए मुझे बेल दिया जाए। यह सुनते जज ने उसकी अपील मंजूर कर ली और उसे बेल दे दिया। साथ ही उसे गिफ्ट देकर रिहा किया।
पड़ोसी के साथ मां की लड़ाई होने पर की थी मारपीट
आरोपी युवक ने जज को बताया कि उसकी मां की पड़ोसी के साथ मारपीट हो रही थी। इसमें वह भी शामिल हो गया। पड़ोसियों ने उसे नामजद कर दिया और वह तब से जेल में है। उसने जज को यह भी बताया कि वह एक दुकान में कर्मचारी है और वहां काम कर ही अपना परिवार चलाता है, लेकिन जेल में होने के कारण दुकानदार उसे पैसे नहीं दे रहा है। दुकानदार का कहना है कि वह जितने दिन गैरहाजिर रहेगा, उतने दिन का कोई पैसे नहीं बनेगा। इस कारण उसे परिवार चलाने में भी परेशान हो रही है।
आरोपी की मां से भी कोर्ट ने पूछताछ
आरोपी युवक की बात सुनने के बाद जज मानवेंद्र कुमार मिश्र ने उसकी मां से भी बात की। जज ने आरोपी की मां की बात सुनने और दोनों की बात को समान पाने के बाद उस युवक की पूरी डिटेल निकलवाई। इसमें पता चला कि साधारण प्रकृति के अपराध में युवक सात महीने से जेल में है। पुलिस ने अब तक आरोप पत्र भी दाखिल नहीं किया है। फिर जज मानवेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर आरोप युवक को रिहा कर दिया।