पटना : कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ एक नई मुसीबत सामने आ रही है। इसमें म्यूकर माइकोसिस नाम की बीमारी कुछ हफ्तों से चर्चा में है। म्यूकर माइकोसिस एक तरह की फंगस या फफूंद है। यह नई बीमारी उन लोगों को हो रही है कि जो किसी बीमारी की दवा ले रहे हैं और इन दवाइयों के कारण उनकी इम्यूनिटी या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। म्यूकर माइकोसिस (फंगल इंफेक्शन) नाक से शुरू होता है और फिर आंखों और दिमाग में पहुंचता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सही समय पर लक्षण का पता चलने के बाद इसका इलाज संभव होता है। इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल के अनुसार यह इंफेक्शन म्यूकर नाम की फंगस से होता है, इसलिए हम इसे ‘म्यूकर माइकोसिस’ कहते हैं। डॉ. पॉल ने बताया कि यह बहुत हद तक डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है, अगर आपको डायबिटीज की बीमारी नहीं है तो बहुत कम उम्मीद है कि आपको इसका सामना करना पड़े। इसकी कोई बड़ी ऑउटब्रेक हो रही हो ऐसा अभी नजर में नहीं आया है। हम इस पर नजर बनाए हुए हैं। यह एक क्यूरेबल डिजीज है।
इम्यूनिटी दबाने वाली दवाइयां ले रहे हैं तो आसानी से आ सकते हैं चपेट में
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोई डायबिटीज का मरीज इम्यून सप्रेसिव (इम्यूनिटी को दबाने वाली) दवाइयां, स्टेरॉयड ले रहा है या उसे कैंसर है, तो उस व्यक्ति पर म्यूकर माइकोसिस का प्रभाव अधिक होता है। दरअसल, कोरोना महामारी के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन, प्रेडनिसोलोन, मेथिलप्रेडिसोलोन, डेक्सोना जैसी दवाइयां ली जाती हैं। ये दवाएं हमारे इम्यून सिस्टम को सप्रेस यानी दबाती हैं। जब एक कोरोना मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है, उसमें एक ह्यूमिडिफायर होता है, जिसमें पानी होता है। इस कारण ही फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. वीके पॉल ने बताया कि जिन्हें शुगर की बीमारी है, उन्हें इसे कंट्रोल में रखना होगा। हमने प्रशासन को स्टेरॉयड को लेकर कहा है कि वह कोरोना की शुरुआत में रोगी को इसे न दें। स्टेरॉयड को अनावश्यक रूप से नहीं दिया जाना चाहिए। इसे छठे दिन के बाद दिया जाना चाहिए और केवल एक निर्धारित अवधि के लिए ही इसे रोगी को दें।
आईसीएमआर ने की एडवाइजरी जारी
आईसीएमआर ने म्यूकर माइकोसिस की जांच और इलाज को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें उन्होंने बीमारी के लक्षण, बचाव और उपाय बताए हैं। अगर, किसी की आंखों और नाक में दर्द की शिकायत है या उसके आसपास की जगह लाल हो गई है, बुखार, सिर दर्द, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ संक्रमित व्यक्ति को खून की उल्टियां आदि की समस्या है तो हो सकता है वह म्यूकर माइकोसिस की वजह से हो। एडवाइजरी में बचाव को लेकर बताया गया है कि धूल भरी जगह पर जब जाएं तो उससे पहले मास्क जरूर पहनें। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े और जूते पहनें।
इन लोगों में फंगल इंफेक्शन का ज्यादा खतरा
-डायबिटीज के मरीज
-जो लोग स्टेरॉयड का अधिक सेवन करते हैं
-काफी समय से ICU में रहने वाले मरीज
-अगर आप किसी गंभीर बीमारी का शिकार हैं और ट्रांसप्लांट या फिर किसी और स्वास्थ्य समस्या के कारण आप कोमॉर्बिड हैं
-पोस्ट ट्रांसप्लांट और मैलिग्नेंसी वाले लोग
-वोरिकोनाजोल थैरेपी वाले लोग
इसके लक्षण क्या हैं ?
-साइनस की परेशानी, नाक का बंद हो जाना
-दांतों का अचानक टूटना, आधा चेहरा सुन्न पड़ जाना
-नाक से काले रंग का पानी निकलना या खून बहना
-आंखों में सूजन, धुंधलापन
-सीने में दर्द उठना, प्लूरल इफ्यूजन
-सांस लेने में समस्या होना
-बुखार होना
बचाव के उपाय
-कोविड से ठीक होने के बाद अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करते रहें और इसे नियंत्रित रखें
-डॉक्टर की सलाह के बाद ही स्टेरॉयड का उपयोग करें
-एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाइयां का उपयोग कैसे करें इसपर डॉक्टर की सलाह लें
-ऑक्सीजन ले रहे हैं तो ह्यूमिडिफायर में साफ पानी का ही इस्तेमाल करें
-हाइपरग्लाइसीमिया को नियंत्रण में रखें
-इम्यूनिटी बूस्टर दवाइयों को बंद कर दें
-एंटीफंगल प्रोफिलैक्सिस की जरूरत न हो तो इसे न लें
-इसके इलाज के लिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखें, पानी की कमी न होने दें