पटना : देश में कोरोना के बाद फंगस ने तबाही मचा रखी है। पहले ब्लैक फंगस के हजारों मरीज मिले। फिर व्हाइट्स फंस के मरीज सामने आए और अब येलो फंगस का भी पहला केस सामने आ गया है। व्हाइट फंगस की तरह की गाजियाबाद में ही येलो फंगस का मरीज मिला है। गाजियाबाद के संजय नगर निवासी एक व्यक्ति में तीन तरह के फंगस मिले हैं। यहां ब्लैक, व्हाइटस फंगस के 26 मरीज मिले हैं। हिस्टोपैथोलोजी रिपोर्ट के अनुसार मरीज में येलो फंगस की पुष्टि हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। डॉक्टर के अनुसार येलो फंगस में सुस्ती, कम भूख लगना, वजन कम होना मुख्य लक्षण हैं।
कई राज्यों में महामारी हो चुकी है घोषित
ब्लैक फंगस अब बिहार में भी महामारी घोषित हो गया है। केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया। इससे पहले राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, और तेलंगाना में ब्लैक फंगस महामारी घोषित हो चुकी है। बिहार 13वां राज्य बन गया है, जिसने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है। शनिवार की देर शाम बिहार स्वास्थ्य विभाग ने एपिडेमिक डिजीज एक्ट-1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया। बता दें कोरोना पीड़ितों में यह महामारी बहुत तेजी से फैल रही है। बिहार में अब तक 91 मरीज मिल चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए आरएमआरआई में दवाइयों का स्टॉक किया गया है। इस महामारी का इलाज पटना एम्स, आईजीआईएमस, पीएमसीएच और एनएमसीएच में होगा। इन अस्पतालों में मरीजों को एंफोटेरिसिन की दवा मुफ्त में मिलेगी। पिछले 24 घंटे में पटना एम्स में ब्लैक फंगस के 40 संदिग्ध मरीज आए हैं। इनमें सात के ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। आईजीआईएमएस में दो मरीज मिले हैं।
ज्यादा इस्तेमाल मास्क के पहनने से हो रहा ब्लैक फंगस
कोरोना मरीजों में हो रहे ब्लैक फंगस को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। डॉक्टरों ने इस बीमारी की वजह मास्क को बताया है। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस लाल ने शुक्रवार को कहा कि म्यूकोरमायसिस यानी ब्लैक फंगस का कारण- लंबे समय तक इस्तेमाल किया गया मास्क है। मास्क पर जमा होने वाली गंदगी के कण से आंखों में फंगस इंफेक्शन होने की संभावना रहती है। मास्क में नमी होने पर भी इस प्रकार के इंफेक्शन हो सकते हैं। डॉक्टर एसएस लाल ने बताया कि आईसीयू में भर्ती कोरोना मरीज को लंबे समय तक इलाज के समय लगाए जा रहे ऑक्सीजन के कारण भी फंगल इंफेक्शन हो सकता है। इसमें कोरोना मरीज को स्टेरॉयड की हाईडोज दी जाती है। तब मरीज का शुगर लेवल बढ़ने से इस तरह के संक्रमण के बढ़ने की बहुत संभावना होती है।
नाक से होती है फंगस के संक्रमण की शुरुआत
डॉ. लाल ने कहा कि ब्लैक फंगस की शुरुआत नाक से होती है। नाक से ब्राउन या लाल रंग का म्यूकस जब बाहर निकलता है तो यह शुरुआती लक्षण ब्लैक फंगस का माना जाता है। फिर यह धीरे-धीरे आंखों में पहुंच जाता है। आंखों में लालीपन, डिस्चार्ज होना, कन्जक्टिवाइटिस के लक्षण इस रोग में उभरते हैं। आंखों में बहुत ज्यादा पीड़ा होती है। फिर विजन पूरी तरह खत्म हो जाता है।
दिल्ली एम्स के निदेशक व मेदांता अस्पताल के चेयरमैन ने दी अहम जानकारियां
1. मरीज को स्टेरॉयड की हल्की डोज दें: ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए डॉक्टरों की सलाह पर स्टेरॉयड दिया जाना चाहिए। मरीज को स्टेरॉयड की हल्की और मध्यम डोज दी जानी चाहिए।
2. स्टेरॉयड इंजेक्शन की बढ़ी खपत
कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड इंजेक्शन की मांग काफी बढ़ी है। मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर इस इंजेक्शन का बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं। स्टेरॉयड देने के बाद ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने का खतरा अधिक रहता है।
3.स्टेरॉयड लेने पर ब्लड शुगर चेक करते रहें
डॉक्टरों ने कहा कि यदि स्टेरॉयड इंजेक्शन लेते हैं तो बराबर अपना ब्लड शुगर चेक करते रहें। क्योंकि इस इंजेक्शन के लेने से डायबिटीज की समस्या हो सकती है और फिर फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लैक फंगस के लक्षणों के प्रति रहें सतर्क
मेदांता चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा कि ब्लैक फंगस के लक्षणों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। डॉ. नरेश ने कहा कि नाक में दर्द, नकड़न, गाल पर सूजन, मुंह के अंदर फंगस पैच, आंख की पलक में सूजन, आंखों में दर्द या रोशन कम होना, चेहरे के किसी भाग पर सूजन हो तो तुरंत इलाज कराएं।
ब्लैक फंगस का 3 महीने तक चलता है इलाज
डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा कि ब्लैक फंगस नाक या मुंह के जरिए बॉडी में घुसता है। फिर यह आंख में घुसता है। इसके बाद दिमाग पर अटैक करता है। इसकी पूरी तरह इलाज के लिए 4 से 6 सप्ताह तक दवाइयां लेनी पड़ती है। गंभीर स्थिति होने पर तीन महीने तक इलाज चल सकता है।