पटना। कोविड (COVID19) से अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के आश्रय और शिक्षा के लिए केंद्र सरकार (Central Govt) ने कई पहल की हैं। इसी के तहत राज्यों को ऐसे बच्चों की पहचान कर, उन्हें तुरंत मदद मुहैया कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) ने इस दिशा में कार्य करना भी शुरू कर दिया है। राज्य के कई जिलों में ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें ‘मुख्यमंत्री बाल कोविड कल्याण योजना’ के तहत मदद मुहैया कराई जा रही है।
राज्य के सीहोर जिले में बच्चों की मदद भी की गई है। दरअसल, ग्राम तुरनिया के लरहने वाले दो बच्चों के पिता का सात मई को कोरोना से निधन हो गया। मां की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। दोनों बच्चों को दूर तलक अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था। पढ़ाई का सोचना छोड़ वे जीवन-यापन के लिये काम-धंधे की तलाश करने लगे, ऐसे में मुख्यमंत्री कोविड कल्याण योजना उनके सामने गहन तिमिर में उज्जवल किरण की भांति सामने आयी है ।
पिता को खो चुका दीपक( परिवर्तित नाम) का कहना है कि कोरोना से अचानक हुई पिताजी की मृत्यु ने मुझे इतना झकझोर दिया था कि मैं कुछ सोच ही नहीं पा रहा था। साथ में छोटी बहन भी है। पिताजी मेहनत-मजदूरी करके घर चलाते थे। इसलिये घर में कोई संपत्ति या पूंजी भी नहीं थी, जिसके सहारे हम जीवन-यापन कर सकें। ऐसा लगा जैसे संघर्षों का एक कठिन दौर शुरू हो गया है। ऐसे में महिला एवं बाल विकास अधिकारी हमारे घर आए और पूरी जानकारी ली। उन्होंने बताया कि श्श्मुख्यमंत्री बाल कोविड कल्याण योजनाश्श् के तहत हमें मदद मिलेगी। हमारे लिये यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। ईश्वर के साथ हम सरकार के भी शुक्रगुजार हैं, जो उन्होंने हमारे इस भयानक संकट में इतना बड़ा आसरा दिया। अब जीवन-यापन की चिंता छोड़ हम अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे।
इसी प्रकार से दतिया जिले के इनदरगढ़ तहसील के ग्राम सिलौरी के रहने वाले नवीन (परिवर्तित नाम) को अपने भविष्य की अब चिन्ता नहीं करनी होगी। नवीन का यही योजना सहारा बनी है। 13 वर्षीय बालक नवीन को पांच हजार रुपये की सहायता राशि पेंशन के रूप में प्रदान की गई है। बता दें कि बालक नवीन के पिता की 28 मई को कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हो गई थी, जबकि नवीन की माता का पूर्व में ही निधन हो चुका है। ऐसे में नवीन के भरण-पोषण की समस्या आ खड़ी हुई। अब इस योजना के अंतर्गत नवीन को 21 वर्ष पूर्ण होने तक पांच हजार रुपये की प्रतिमाह पेंशन राशि के साथ संरक्षक को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत निःशुल्क खाद्यान्न प्रदाय किया जायेगा। नवीन की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था भी निःशुल्क शासन द्वारा की जायेगी।
एक अन्य प्रकरण में, चार साल पहले पिता धनसिंह मोरे की सड़क दुर्घटना में और अप्रैल, 2021 में मां की अचानक तबियत खराब होने के बाद मृत्यु ने हम तीनों भाई-बहनों की जिंदगी को हताशा, निराशा और घनघोर संघर्ष से भर दिया। पिता की मृत्यु के बाद मां मेहनत-मजदूरी करके जैसे-तैसे हम लोगों का भरण-पोषण कर रही थीं, पर उनकी भी कोरोना संक्रमण से अचानक मृत्यु के बाद जैसे हम जेठ की भरी दुपहरी में खुले आसमान के नीचे आ गये हों। दादा जी ने किसी तरह सड़क के किनारे एक छोटी-सी किराने की दुकान खुलवाई। … और यह दुकान भी कोरोना कर्फ्यू में बंद हो गई। अब हालात बद से बदतर हो गये। यह कहना है बड़वानी जिले के ग्राम रेहगुन की 19 वर्षीय रानी (परिवर्तित नाम) का।
रानी कहती हैं, ऐसे में एक दिन पता चला कि उन्हें मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना का लाभ मिलेगा। योजना का लाभ मिलने से हम तीनों भाई-बहनों को प्रतिमाह 5-5 हजार रुपये पेंशन, निरूशुल्क शिक्षा और खाद्यान्न मिलने लगा है। ऐसा लगने लगा है, जैसे सरकार के रूप में हमारे माता-पिता वापस लौट आये हों। अपनी पढ़ाई और आजीविका के साथ ही हम अपने बूढ़े दादा-दादी का भी ख्याल रख सकते हैं। ऐसे वक्त जब हमको भविष्य हर तरफ अंधकार भरा ही दिखता था, शासन की यह मदद एक अच्छी जिंदगी की ओर भरोसा दिला रही है। मुझे आशा है कि मेरे दोनों छोटे भाई अशोक और बलराम हमारे माता-पिता द्वारा देखे गये सपने को अब पूरा कर सकेंगे। वहीं, इस प्रकार के अन्य प्रकरण में उमरिया जिले के नौरोजाबाद नगर में निवासरत मध्यमवर्गीय परिवार के अनाथ हुए भाई-बहन शिवाली और आलोक के सपनों को अब मध्यप्रदेश की सरकार पूरा करेगी।