मोदी सरकार के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को संयुक्त राष्ट्र के डेवलपमेंट प्रोग्राम ने तारीफ की है। यह प्रोग्राम देश के अति पिछड़े जिलों के लिए है। यूएनडीपी का मानना है कि गरीबों के कल्याण वाली इस योजना को लागू कर केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाके की तस्वीर बदल दी है। महज तीन साल में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान द्वारा पीएम मोदी के 7 लोकप्रिय फ्लैगशिप स्कीम को हर गांव में सुनिश्चित कराने की व्यवस्था की गयी थी।
दूसरे देशों से भी अपने पिछड़े जिलों में लागू करने का किया आग्रह
यूएनडीपी ने इस विशेष प्रोग्राम को दुनिया के दूसरे देशों से भी अपने पिछड़े जिलों में लागू करने का आग्रह किया है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने भी भारत ने दुनिया के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया था और संयुक्त राष्ट्र के खुले में शौच से मुक्त दुनिया के संकल्प से पांच साल पहले ही भारत को ओडीएफ कर दिया गया था। 2018 के आकांक्षी जिला योजना में 117 जिले के आला अधिकारियों ने ‘बैक टू विलेज’ जैसे कार्यक्रम के जरिये गांव में डेरा डाल कर हर केंद्रीय योजना को सुनिश्चित करने की शानदार पहल की थी। केंद्र के इस महत्वाकांक्षी योजना ने देश के 60,000 से ज्यादा पिछड़े गांव में 100 फीसद शौचालय, मिशन इंद्रधनुष, जनधन स्कीम, उजाला, उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, फसल बीमा जैसी योजनाओं को देश के पिछड़े से पिछड़े इलाके में लागू कर दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रोग्राम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था
2019 के लोकसभा चुनाव में इस एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था और देश में विकास की एक और लकीर खींच ले आयी थी। नक्सल प्रभवित झारखण्ड के पाकुड़ जिला टीवी की सुर्खियों में 2013 में तब आया जब जिले के तेजतर्रार एस पी और पुलिसकर्मियों को नक्सलियों ने घात लगाकर मार दिया था, लेकिन मीडिया में पाकुड़ के ग्राम स्वराज अभियान की चर्चा आपने कहीं टीवी पर नहीं देखी होगी। पीएम मोदी ने जब देश के 117 अति पिछड़े जिले को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट का नाम दिया और इन पिछड़े जिले के तमाम डीएम से सीधा संवाद करके उन्हें गांव की तस्वीर बदलने की सलाह दी तो कुछ मोटिवेशन भी। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि देश की सुस्त और फाइलों में उलझी नौकरशाही कभी ऐसी चुनौती स्वीकार कर लेगी और इलाके की तस्वीर बदल जाएगी।
झारखंड की कहानी बदलते भारत की एक नयी तस्वीर कर रही पेश
पाकुड़ की कहानी बदलते भारत की एक नयी तस्वीर पेश कर रही है। जिले का लिटीपारा ब्लॉक के पहाड़िया आदिवासी गांव मुकरी तमाम बुनियादी सुविधाओं से संपन्न है। हर घर में नलका और शौचालय, पक्की ससकें, हर घर में बिजली तो सिलाई मशीनों पर थिरकती बेटियों के पांव मानो एक नए जीवन का उत्सव मना रहा हो। हर बच्चे का टाइम से टीकाकरण तो हर के पास बैंक अकाउंट। हर घर में सील्ड गेहूं और चावल की बोरी घर तक पहुंच जाती है, इसके लिए किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है। आम लोगों को सरकार से मिल रही तमाम सुविधाएं ग्राम स्वराज अभियान में इन जिलों में डोर सर्विस हो गयी थी। 2018 में मैंने खुद इस चमत्कार को यहां करीब से देखा था। पाकुड़ के आदिवासी गांव जहां लोगो को पहुंचना मुश्किल और जोखिम भरा था, ग्राम स्वराज अभियान में जिला मुख्यालय से वे तमाम गांव कनेक्ट हो गए थे।
साल 2018 में 28 राज्यों के 117 अति पिछड़े जिले में लाई गई थी योजना
28 राज्यों के 117 अतिपिछड़े जिले में समग्र विकास को लेकर नीति आयोग ने यह योजना 2018 में लायी थी। पहली बार केंद्र राज्यों के बीच परस्पर सहयोग से इस योजना को जमीन पर शत प्रतिशत उतारने में कामयाबी मिली थी। इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य था सरकार अपने नागरिकों के जीवन-स्तर को सुधारने और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने अर्थात् सबका साथ सबका विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सरकार में पदस्थापित अधिकारी अत्यानंद ने इसे अबतक का सबसे कामयाब प्रोग्राम बताते हुए मुझे बताया था कि उन्हें भी बिहार के नक्सल प्रभावित रोहतास में काम करने का अनुभव मिला था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर हम जिले के आला अधिकारियों के साथ रोहतास के गांव में डेरा डाले हुए थे। पता चला कि इन गांव में आज तक बीडीओ साहब नहीं आए हैं ,पता चला कि गांव के विद्यालय में शिक्षक सिर्फ दो घंटे के लिए आते हैं। कभी किसी बच्चे को टीका देने कोई आशा वर्कर नहीं आयी। वजह नक्सल का नाम लेकर एक फेक माहौल बनाया गया था, जबकि इन इलाकों में नक्सली वारदातों के कोई निशान नहीं थे। एक हफ्ते में तमाम बुनियादी चीजों को आसपास के गांव में लागू होते देखना एक सुखद अनुभव था।