पटना : बिहार में हजारों नियोजित शिक्षकों का सपना टूट गया है। अब टीईटी पास नियोजित शिक्षक हेडमास्टर नहीं बन पाएंगे। बिहार सरकार के नई गाइडलाइन के मुताबिक ज्यादातर शिक्षक हेडमास्टर के तय मानक में छंट जाएंगे। बता दें सूबे में प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पहली बार 2011 में हुई थी। इस परीक्षा का रिजल्ट 2012 में आया था। तब ट्रेंड और अनट्रेंड केटेगरी के अभ्यर्थियों के टीईटी में बैठने का प्रावधान था। इस कारण बड़ी संख्या में ट्रेंड और अनट्रेंड अभ्यर्थी परीक्षा में पास हुए थे। इनकी बहाली की प्रक्रिया 2013 में शुरू हुई थी, लेकिन बहुत कम अभ्यर्थी बहाल हुए थे।
2014 में कैंप मोड में बहाली हुई और बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बहाल हुए। इसके बाद अनट्रेंड शिक्षकों के लिए सवैतनिक ट्रेनिंग की व्यवस्था हुई। ट्रेनिंग पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उनकी ट्रेनिंग की परीक्षा हुई। कई सत्रों की परीक्षा के बाद शिक्षकों का रिजल्ट 2018 के बाद आया। अब ऐसे शिक्षक प्रधान शिक्षकों की बहाली के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे, क्योंकि पहली से पांचवीं क्लास के प्रधान शिक्षक बनने के लिए 8 साल का शिक्षण अनुभव होना चाहिए। अनट्रेंड टीईटी पास पहली से पांचवीं क्लास तक के शिक्षक जो सवैतनिक अवकाश पर ट्रेनिंग लिए थे, वो प्रधान शिक्षकों की बहाली के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।
शिक्षण अनुभव की बाध्यता समाप्त करने की मांग
नियोजित शिक्षकों की समस्या को लेकर टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने शिक्षा मंत्री से मुलाकात की है। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी और विभाग के अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन भी सौंपा है। इसमें प्रधान शिक्षकों की बहाली में टीईटी पास शिक्षकों के लिए शिक्षण अनुभव समाप्त करने की मांग की है।