पटना। बिहार में एक बार फिर शराबबंदी के सपोर्ट में जंग का ऐलान हुआ है। जी हां, शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के लाखों कर्मचारियों व अधिकारियों को शराबबंदी को लेकर शपथ दिलवाई। सीएम ने सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को शपथ दिलवाई कि हमलोग आजीवन शराब नहीं पीएंगे और न ही किसी को पीने देंगे। राज्य के कर्मचारियों व अधिकारियों ने यह भी शपथ ली कि बिहार में किसी भी कीमत पर शराब की बिक्री नहीं होने देंगे।
बिहार में नशा मुक्ति दिवस के मौके पर आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को एक बार फिर यह शपथ दिलवाई है कि आजीवन शराब नहीं पीनी है। साथ ही दूसरों को भी शराब का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करना है। शराब से जुड़ी गतिविधियों से अपने को अलग रखना है। राज्य सरकार के सभी कर्मचारी व अफसर अपने-अपने सरकारी कार्यालयों में इसकी शपथ लिए। मौके पर सभी ने इससे जुड़ा शपथ-पत्र भी भरा और अपना हस्ताक्षर किया और इसकी प्रति डीएम के माध्यम से मुख्यालय तक जाएगी।
नशा मुक्ति दिवस के आयोजन में यह चर्चा भी हुई कि गांधीजी ने किस तरह हमेशा शराब का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि शराब आदमियों से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेती है, बल्कि उनकी बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। गांधीजी ने कहा था कि यदि मुझे एक घंटे के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाए तो मैं सबसे पहले शराब की सभी दुकानों को बिना क्षतिपूर्ति के बंद कर दूंगा। बता दें कि हाल के दिनों में बिहार में शराब की खपत बढ गई थी और कई जगह जहरीली शराब के कारण दर्जनों लोगों की मौत भी हो चुकी है।
2016 में भी सरकारी कर्मियों व अफसरों ने शराब न पीने की शपथ ली थी। पटना में सुबह 11 बजे से ज्ञान भवन में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी की विशेष उपस्थिति थी।
आपको बता दें कि राज्य भर में तकरीबन आठ लाख से अधिक पदाधिकारी व कर्मचारियों ने आज शपथ ली है। ज्ञान भवन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार के अलावा उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी के अलावा मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार सहित कई लोग मौजूद रहे। गौरतलब है कि हाल में जहरीली शराब से पूरे राज्य में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसे लेकर बिहार भर में सियासी तूफान भी खड़ा हुआ और इसके बाद पिछले 16 नवंबर को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संवाद में मैराथन बैठक आयोजित की गई थी।
इधर, बिहार पुलिस हेडक्वार्टर में भी पुलिस कर्मियों को मद्य निषेध कानून का सख्ती से पालन करने और पालन कराने को लेकर डीजीपी एस के सिंघल ने शपथ दिलाई है। डीजीपी एसके सिंघल ने कहा है कि शराबबंदी कानून को उल्लंघन करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर बर्खास्त किया जाएगा। डीजीपी एसके सिंघल ने कहा कि शराबबंदी कानून लागू करने के लिए पुलिस विभाग प्रतिबद्ध है और इसके सकारात्मक परिणाम आए हैं। हम शराबबंदी के साथ-साथ नशा के दूसरे साधन की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरीके से नशा उन्मूलन करना चाहते हैं। पुलिसकर्मी इसमें सम्मिलित पाए जाएंगे तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। पुलिस और समाज के लोगों को सम्मिलित कर इस अभियान को सफल बनाने की जरूरत है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2016 में बिहार में 496.3 किलो गांजा जब्त हुआ था तथा 2017 के फरवरी माह तक ये आंकड़ा 6884.47 किलो तक जा चुका था।
बिहार के मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने बताया है कि मद्य निषेध के प्रति चेतना जागृत करने के लिए वर्ष 2016 में राज्य सरकार के सभी कर्मियों को आजीवन शराब का सेवन नहीं करने और दूसरे को भी शराब नहीं सेवन करने के लिए प्रेरित करने के लिए शपथ दिलायी गयी थी। इसी के तहत मद्य निषेध समीक्ष बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा था कि इस साल भी नशा मुक्ति दिवस पर सरकारी कर्मियों को शपथ दिलाई जाए। जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी को लेकर बहुत सीरीयस हैं और वे हर हाल में इसे सफल देखना चाहते हैं।
बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़े देखें तो इस साल अक्टूबर 2021 तक 38,72,645 लीटर शराब जब्त की गई है। इनमें 1,590 राज्य के बाहर के लोगों समेत 62,140 गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 12,200 वाहनों को जब्त किया गया है। सबसे ज्यादा शराब वैशाली जिले में जब्त हुई और गिरफ्तारियां सबसे अधिक पटना में दर्ज हुईं। कानून बनने के बाद अब तक इसके तहत तीन लाख से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और 700 से ज्यादा कर्मचारियों (पुलिस और उत्पाद विभाग) को बर्खास्त किया जा चुका है।