Bihar STF ADG Amrit Raj says Bihar Naxalfree in 2025

बिहार में नक्सलियों के खिलाफ ‘एक्शन प्लान’! STF ADG बोले- सिर्फ 5 जिलों में बचे नक्सली, उनका भी 2025 में होगा सफाया

पटना। बिहार में नक्सलियों का असर लगातार कम होता जा रहा है। वर्ष 2000 में बिहार-झारखंड राज्य विभाजन के बाद विशेष कार्य बल (STF) का गठन किया गया था। बिहार में नक्सल वामपंथी, उग्रवादी संगठनों और संगठित अपराधी गिरोहों की गतिविधियों पर नकेल के लिए इसका गठन किया गया था। वर्ष 2004 में बिहार के 14 जिले उग्रवाद प्रभावित थे, वहीं, साल 2012 में उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या बढ़कर 22 हो गई थी। विशेष कार्य बल की ओर से भारत सरकार के केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों (CAPF) के सहयोग से उग्रवाद पर निरंतर कार्रवाई की गई। इसका नतीजा रहा कि कई नक्सल प्रभावित जिले नक्सल श्रेणी से बाहर हुए, जो लगातार घटते हुए वर्ष 2018 में घटकर 16 और 2021 में 10 हो गए। वर्तमान में बिहार के 8 जिले- मुंगेर, लखीसराय, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर को गृह मंत्रालय (भारत सरकार) ने अति नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी से हटाकर Legacy & Thrust Districts की श्रेणी में रखा है।

बिहार राज्य में नक्सल वामपंथ का वर्तमान परिदृश्य :-
राज्य में नक्सल प्रभाव में लगातार कमी वर्ष 2000 में बिहार-झारखण्ड राज्य विभाजन के उपरान्त विशेष कार्य बल (STF) का गठन बिहार राज्य में नक्सल वामपंथी, उग्रवादी संगठनों तथा संगठित अपराधी गिरोहों की गतिविधियों पर प्रभावकारी नियंत्रण हेतु हुआ। वर्ष 2004 में बिहार राज्य के 14 जिले उग्रवाद से प्रभावित थे, वहीं, वर्ष 2012 में उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या बढ़कर 22 हो गई थी। विशेष कार्य बल के द्वारा भारत सरकार के केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों (CAPF) के सहयोग से उग्रवाद पर निरंतर कार्रवाई के फलस्वरूप कई नक्सल प्रभावित जिले नक्सल श्रेणी से बाहर हुए, जो निरन्तर घटते हुए वर्ष 2018 में घटकर 16 एवं वर्ष 2021 में घटकर 10 हो गये। वर्तमान में बिहार राज्य में 08 जिले- मुंगेर, लखीसराय, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास एवं कैमूर को गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अति नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी से हटाकर Legacy & Thrust Districts की श्रेणी में रखा गया है।
वर्तमान में बिहार राज्य में नक्सल गतिविधि मुख्य रूप से बिहार-झारखंड सीमावर्ती इलाकों में निम्न 02 क्षेत्रों में केन्द्रित है :-

  • गया औरंगाबाद एक्सिस – इस क्षेत्र में बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमिटि (BJSAC) सक्रिय है। लगातार नक्सल रोधी अभियान तथा शीर्ष नक्सलियों की गिरफ्तारियों के फलस्वरूप गया औरंगाबाद क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद की गतिविधियों में काफी कमी आयी है। वर्तमान में इस क्षेत्र में 07 सशस्त्र माओवादियों के 03 छोटे समूहों में सक्रिय होने की सूचना है।
  • जमुई-लखीसराय-मुंगेर एक्सिस इस एक्सिस में पूर्वी बिहार पूर्वोतर झारखण्ड स्पेशल एरिया
    कमिटि (PBPJSAC) सक्रिय है। इस एक्सिस पर 09 सशस्त्र माओवादी 03 छोटे समुहों में सक्रिय है। वर्ष 2021, 2022 एवं 2023 में पुलिस मुठभेड़ों में प्रमुख नक्सली प्रमोद कोड़ा, बिरेन्द्र कोड़ा, मनसा कोड़ा, जगदीश कोड़ा एवं मतलु तुरी के मारे जाने एवं बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा के आत्मसमर्पण करने तथा बब्लु संथाल, विडियो कोड़ा, पिन्टु राणा, करूणा की गिरफ्तारियों के फलस्वरूप इस एक्सिस में भी माओवादी गतिविधियों पर काफी हद तक नियत्रंण प्राप्त कर लिया गया है।
  • साथ हीं, लगातार नक्सल रोधी अभियान के फलस्वरूप उत्तर बिहार लगभग नक्सल मुक्त हो गया है। मई 2023 में बिहार पुलिस के विशेष कार्य बल के द्वारा उत्तरी बिहार पश्चिमी जोन कमिटि रामबाबू राम उर्फ राजन एवं धीरज की 02 ए.के.-47 के साथ गिरफ्तारी के उपरान्त उत्तरी बिहार में नक्सलियों की गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाया जा सका है, यद्यपि इस क्षेत्र में भी आसूचना संकलन करते हुए लगातार निगरानी रखी जा रही है।

वर्तमान चुनौतियाँ :-

  • बिहार के सभी जिलों को नक्सल मुक्त बनाना गया औरंगाबाद एक्सिस एवं
    जमुई-लखीसराय-मुंगेर एक्सिस में बचे हुए शेष नक्सलियों को गिरफ्तार करना / आत्मसमर्पण कराना एवं राज्य के सभी जिलों को नक्सल मुक्त बनाना।
  • सुरक्षा वैक्यूम को भरना राज्य के वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों से केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के वापस होने के कारण उत्पन्न सुरक्षा वैक्युम को भरने हेतु उनकी जगह पर विशेष कार्य बल को प्रतिनियुक्त किया गया है. जिससे विशेष कार्य बल की उतरदायिता बढ़ी हैं।
  • नये सुरक्षा कैम्पों की स्थापना कराना वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों की
    गतिविधियों पर नियंत्रण रखने एवं झारखंड तथा छतीसगढ़ से बिहार में नक्सलियों के प्रवेश को रोकने हेतु पूर्व में नक्सलियों के गढ़ में स्थापित 07 Forward Operating Bases (FOBs)/Camps के अतिरिक्त झारखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों में 11 नये सुरक्षा कैम्पों की स्थापना कराना।
  • माओवादियों के वित्त पोषण के विरूद्ध कार्रवाई: अफीम की अवैध खेती तथा विभिन्न प्रकार की
    अवैध लेवी की मांग माओवादियों के वित्त पोषण का प्रमुख श्रोत रहा है. जिसे रोकने हेतु आवश्यक कार्रवाई करना।
  • अवैध सम्पत्ति का समपहरण: नक्सलियों द्वारा अपराध जनित सम्पति (Proceeds of crime) के रूप में अर्जित सम्पत्ति की पहचान कर धन शोधन अधिनियम, 2002 (PMLA, 2002) के अन्तर्गत सम्पत्ति समपहरण की कार्रवाई में तेजी लाना।
  • नक्सलियों को मुख्य धारा में लाना नये आत्म समर्पण सह पुनर्वास एवं ईनामी योजना के अन्तर्गत नक्सलियों को आत्म समर्पण करा कर मुख्य धारा में लाना।

वर्तमान चुनौतियों के लिए चल रही कार्रवाई :-

माओवादियों के वित्त पोषण रोकने हेतु की गई कार्रवाई अफीम की अवैध खेती माओवादियों के वित्त पोषण का प्रमुख स्रोत रहा है। अफीम की अवैध खेती के विनष्टीकरण हेतु सतत् कार्रवाई की गयी है। वर्ष 2024 में 2523.40 एकड़ पर हो रहे अफीम की अवैध खेती को विनष्ट किया गया। अफीम की खेती को विनष्ट करने हेतु लगातार अभियान चलाया जा रहा है। माओवादियों द्वारा अवैध लेवी वसूलने की गतिविधियों पर भी लगातार निगरानी रखी जा रही है। वर्ष 2020 से 2024 के बीच अब तक 56,61,380/- (छप्पन लाख इकसठ हजार तीन सौ साठ) रूपये अवैध लेवी की रकम भी बरामद की गई।
UAPA के अन्तर्गत सम्पत्ति सम्पहरण की कार्रवाई: नक्सलियों के विरूद्ध प्रभावी अभियान के फलस्वरूप नक्सलियों द्वारा लेवी / रंगदारी वसूली करने के मामलों में काफी कमी आयी है। यू.ए. पी.ए. एक्ट (Unlawful Activities Prevention Act) के प्रावधानों का उपयोग कर वर्ष 2012 से अब तक 32 मामलों में नक्सलियों के 6.75 करोड़ रूपयों की चल-अचल सम्पति Designated Authority द्वारा जप्त की जा चुकी है।
PMLA के अन्तर्गत सम्पत्ति समपहरण की कार्रवाई उसी तरह, Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के प्रावधानों का उपयोग कर 14 मामलों में 8.97 करोड़ रूपयों की नक्सलियों की चल/अचल सम्पति की जप्ती हेतु प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को प्रस्ताव भेजा गया, जिसमें करीब 4.93 करोड़ रूपयों की चल-अचल सम्पति नक्सली 1. संदीप यादव 2 प्रद्युमन शर्मा 3. मुसाफिर सहनी 4. अरविन्द यादव 5. रामबाबु राजन 8. पिन्टु राणा 7. विनय यादव 8. अनील राम 9. दिलीप सहनी 10. अभीजीत यादव की जप्त की गयी है। सम्पत्ति जप्त होने से उनके संगठन क्षमता का सीधा ह्रास हुआ है। साथ हीं, अन्य माओवादियों के सम्पत्ति का भी पता लगाया जा रहा है, ताकि उनके विरूद्ध भी सम्पत्ति समपहरण की कार्रवाई की जा सके।
नक्सली कांडों का गहन अनुसंधान एवं अभियोजन बिहार पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग के अन्तर्गत महत्वपूर्ण नक्सल कांडों के अनुसंधान एवं अभियोजन के अनुश्रवण हेतु एक समिति का गठन किया गया है। वर्तमान में उक्त समिति के द्वारा UAPA के अन्तर्गत दर्ज महत्वपूर्ण कांडों के अनुसंधान की मॉनिटरिंग की जा रही है। नक्सली कांडों में रिमाण्ड करने की कार्रवाई नक्सलियों के विरूद्ध दर्ज कांडों में उन्हे रिमाण्ड करने हेतु जिला पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर कार्रवाई की जा रही है।
Security Vaccum को भरना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में security vacuum को भरने के लिए वर्ष 2021 से अब तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गढ़ में 07 Forward Operating Bases (FOBs)/Camps (तरी, लंगुराही, पंचरुखिया, कंचनपुर (सभी औरंगाबाद जिला), नागोबार (गया), चोरमारा (जमुई), पेसरा (मुंगेर)) स्थापित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त झारखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों में 05 नये सुरक्षा कैम्पों की स्थापना प्रक्रियाधीन है तथा 06 अतिरिक्त सुरक्षा कैम्प निकट भविष्य में निर्माण हेतु प्रस्तावित है। ये FOBs/Camps जंगलों के बीचों-बीच और दुर्गम पहाड़ियों पर अवस्थित है। इनके स्थापना से नक्सलियों के शरणस्थल (Hideout) को नष्ट करने, उनकी आपूर्ति लाईनों को काटने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की गई और उन क्षेत्रों में पुलिस का प्रभाव एवं नियंत्रण प्राप्त किया जा सका। फलस्वरूप, नक्सलियों को संगठन एवं शक्ति विहिन हो गए। इसके अलावा इन FOBs/Camps से नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाया गया, जिसमें कई महत्वपूर्ण नक्सलियों की गिरफ्तारी संभव हो सकी।
वामपंथी उग्रवादियों के समर्पण-सह-पुनर्वास एवं ईनामी योजना उक्त योजना के अन्तर्गत वर्ष
2020 से अभी तक 22 (बाईस) वामपंथी उग्रवादी आत्मसमर्पण किये हैं जिसमें 12 वामपंथी उग्रवादी उक्त योजना के अन्तर्गत लाभान्वित हुए है।
Front Organisations के विरूद्ध कार्रवाई नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के फ्रंट संगठनों को
सूचीबद्ध किया गया है और उनकी गतिविधियों पर एस.आई.बी., एस.टी.एफ., विशेष शाखा और जिला पुलिस द्वारा लगातार नजर रखी जा रही है। वर्तमान में बिहार में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में किसी भी फ्रंट संगठन कोई संदेहास्पद गतिविधि में लिप्त नहीं पायी गयी है।

विशेष कार्य बल का Capacity Building -चीता/अभियान दल की संख्या में बढ़ोतरी एवं विशेष प्रशिक्षण विशेष कार्य बल में वर्ष 2005 में मात्र 9 चीता (दल) कार्यरत थे. जिसकी संख्या वर्तमान में बढ़कर 34 हो गयी है। इनमें से 19 चीता/अभियान दल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस भवन/थानों का निमार्ण: नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा बलों
के लिए क्षमता निर्माण तथा बुनियादी ढाचा को मजबूत करने के उद्देश्य से विशेष आधारभूत संरचना योजना के अन्तर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 85 fortified पुलिस थानों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, तथा 27 पुलिस नक्सल भवन स्वीकृत किये गये हैं, जिसमें 25 भवन का कार्य पूर्ण हो चुका है।
उपलब्धियाँ :-
वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में कमी विगत वर्षों में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में भारी कमी आई है। वर्ष 2018 में नागरिकों के हताहत होने की 08 घटना हुई थी, वहीं वर्ष 2023 में नागरिक एवं सुरक्षा बलों के हताहत होने की एक भी घटना घटित नही हुई है। वर्ष 2024 में नागरिक के हताहत होने की मात्र एक (01) घटना हुई है। वर्ष 2024 में सम्पन्न लोकसभा चुनाव एवं बिहार विधानसभा उप-चुनाव, नक्सली क्षेत्रों में पूरी तरह शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। कोई भी अप्रिय घटना प्रतिवेदित नही हुई।
हार्डकोर नक्सलियों की संख्या में कमी वांछित हार्डकोर नक्सल सशस्त्र दस्ता के सदस्यों की
संख्या निरंतर कम हुई है। वर्ष 2020 में इनकी संख्या 190 थी, जो वर्ष 2022 में घटकर 118 हो गई थी, जो वर्ष 2023 में घटकर 56 हो गई, तथा दिसम्बर 2024 में इनकी संख्या घटकर मात्र 16 शेष है, जिनकी गिरफ्तारी हेतु लगातार अभियान चलाया जा रहा है।
मुठभेड़ :- 07 मुठभेड़ों में 03 नक्सली मारे गये हैं। (विरेन्द्र कोड़ा, जगदीश कोड़ा एवं मतलु तुरी)
गिरफ्तारी एवं बरामदगी: नक्सलियों के खिलाफ नियमित निगरानी एवं आसूचना आधारित अभियान के फलस्वरूप पिछले तीन वर्षों में 397 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई हैं। वर्ष 2024 (18. 12.2024 तक) में 11 नक्सली घटनायें प्रतिवेदित हुई। इस वर्ष राज्य एवं राज्य से बाहर से कुल 123 नक्सली गिरफ्‌तार किये गये हैं जिनमें 53 नक्सली मोस्ट वांटेड की सूची में तथा 11 ईनामी नक्सली थें, साथ ही, कुल 24 हथियार (01 पुलिस राईफल सहित), 2452 कारतूस, 554 डेटोनेटर, 151 बारुदी सुरंगें / केन बम एवं 146 कि0ग्रा0 विस्फोटक पदार्थ भी बरामद किये गये हैं।

वर्ष 2024 में नक्सलियों के गिरफ्तारी / बरामदगी के ऑकड़े
वांछित नक्सली : 53
ईनामी नक्सली : 11
अन्य गिरफ्तारी : 58
बरामदगी : हथियार-24 (01 पुलिस राईफल सहित) कारतूस-2452, डेटोनेटर-554 बारूदी सुरंगे/केन बम-151, विस्फोटक पदार्थ-148 कि०ग्रा०

नक्सली क्षेत्रों में जन कल्याण के लिए की जा रही कार्रवाई:-

वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों को मुख्य धारा में जोड़ने हेतु विभिन्न प्रकार की विकासोन्मुख योजनायें सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही है :-
पथ निर्माण परियोजना वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क योजना
(RCPLWEA) के तहत राज्य के 8 जिलें यथा औरंगाबाद, बांका, गया, जमुई, नवादा, लखीसराय, रोहतास एवं मुजफ्फरपुर अन्तर्गत 128 पथ जिसकी कुल लम्बाई 1814.06 कि.मी. है. का निर्माण कार्य पूर्ण है।
Mobile Connectivity दूरसंचार विभाग, भारत सरकार एवं बी.एस.एन.एल. के संयुक्त
तत्वाधान में उग्रवाद प्रभावित गांवों में Mobile Connectivity हेतु मोबाइल टावर अधिष्ठापन
परियोजना के अन्तर्गत Phase-1 में 250 2G मोबाईल टावर अधिष्ठापित किये गये जिन्हें 4G में उत्कमित किया जाना प्रस्तावित है एवं Phase-2 में 250 कुल 07 चिन्हित स्थलों पर अधिष्ठापित मोबाईल टावर को 4G में उत्क्रमित किया जाना है।
Health Facilities: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलोंमें कुल 08 सदर अस्पताल तथा 44 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उपलब्ध है, जिसमें सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग द्वारा उग्रवाद प्रभावित गांवों में समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर कैम्प का आयोजन किया जाता है।
बैंकिंग सेवाएं पूरे बिहार राज्य में बैंकों की 8136 शाखाएं कार्यरत हैं, जिनमें से 1414 शाखाएं (17.38%) उग्रवाद प्रभावित जिला कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नवादा, लखीसराय, मुंगेर एवं जमुई में अवस्थित है। उसी प्रकार इन उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 989 ए.टी.एम. कार्यरत् है।
डाक सेवाएं :- बिहार के 08 Legacy and Thrust जिलो में डाक विभाग, भारत सरकार के द्वारा डाकघरों की 163 नवीन शाखायें खोली गयी है। प्रत्येक शाखा अपने क्षेत्राधिकार अन्तर्गत आने वाली आबादी की बैंकिग एवं वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है।
Education Facilities: वर्तमान में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जो जमुई जिला के
झाझा अनुमंडल के आस्था गांव में अवस्थित है, के निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसमें कुल 206 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ हीं, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, पश्चिमी चम्पारण के रामनगर अनुमंडल के बेलरटांडी गांव में अवस्थित है, जिसमें 310 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ हीं, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, अधौरा, कैमूर का निर्माण प्रस्तावित है।
औधोगिक एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण:- राज्य अन्तर्गत उग्रवाद प्रभावित कुल 08 जिलों में 06
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) एवं कौशल विकास केन्द्रों का स्थापना किया गया है। इन सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) को National Council for Vocational Training (NCVT) से मान्यता प्राप्त है।
महिला राजनीतिक सशक्तिकरण: वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के फलस्वरूप नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है।
सर्वांगीण विकास नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा संचालित विकासात्मक एवं कल्याणकारी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2006 से “आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। नक्सल प्रभावित 8 जिलों के 25 प्रखंडों के 65 पंचायतों में लाभुकों को आवास, विद्यालय एवं सामुदायिक भवन, ग्रामीण सड़क जैसी आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ स्वयं सहायता समूहों का गठन, सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास तथा शिकायत निवारण प्रणाली की योजनाओं का एकीकृत लाभ पहुंचाया गया ताकि वे समाज की मुख्यधारा के साथ जुड़ सके।

भविष्य की कार्य योजना :-

  1. बिहार राज्य के सभी जिलों को नक्सल मुक्त बनाना।
  2. शेष बचे हुए नक्सलियों को गिरफ्तार करना/आत्मसमर्पण कराने हेतु कार्रवाई करना।
  3. CAPF बलों एवं सीमावर्ती राज्यों के सुरक्षा बलों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए आसूचना आधारित नियमित छापामारी करना।
  4. जेल से छूटे हुए नक्सलियों पर कड़ी निगरानी रखना एवं उन्हे मुख्य धारा में लाने हेतु अग्रतर कार्रवाई करना। अगर वे पुनः नक्सल गतिविधि में संलिप्त होते हैं तो उनका Bail Cancellation की कार्रवाई करना।
  5. जेल में बन्द नक्सलियों पर कड़ी निगरानी रखना।
  6. कुख्यात नक्सली जो जेल में बंद हैं. उनके विरूद्ध दर्ज कांडों में Speedy Trial कराना।
  7. नक्सलियों द्वारा Proceeds of crime के रूप में अर्जित सम्पत्ति की पहचान कर सख्ती के साथ कार्रवाई करते हुए PMLA के अन्तर्गत विधिवत सम्पत्ति समपहरण हेतु प्रस्ताव प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को समर्पित करना।
  8. नक्सलियों द्वारा किसी भी प्रकार के लेवी डिमाण्ड पर सख्ती के साथ कार्रवाई करना।
  9. उग्रवाद पर नियंत्रण हेतु सतत् अभियान जारी रखना एवं Security Vaccum को भरने हेतु नये शिविरों की स्थापना करना।

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