पटना। हाल के कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी देश में लगातार आगे बढ़ने वाली पार्टी बन गई है। भाजपा के बारे में जैसे एक कहावत हो गई है। चुनाव में भले यह पार्टी नहीं जीत पाती है, पर जोड़-तोड़ करके किसी तरह सरकार बना ही लेती है। ऐसा कई राज्यों में देख चुके हैं। हालांकि बिहार में भाजपा को बड़ा झटका दिया नीतीश कुमार ने, जब वे एनडीए से अलग होकर महागठबंधन से जाकर हाथ मिला लिया और भाजपा को सरकार से बेदखल कर दिया। अब उड़ती-उड़ती खबर यह है कि अगले महीने अमित शाह दो दिनों के बिहार दौरे पर आ रहे हैं, और हो न हो कोई बड़ा खेल होने वाला है।
महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही भाजपा ने मिशन बिहार शुरू कर दिया है। इस मिशन के तहत भाजपा अपने बड़े नेताओं से बिहार में बड़ी-बड़ी रैलियां करवाएगी और इसकी शुरुआत देश के गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। अगले महीने की 23 और 24 तारीख को अमित शाह बिहार दौरे पर रहेंगे। पार्टी नेताओं के अनुसार इन दो दिनों के बिहार दौरे में उनका केंद्र सीमांचल रहेगा। सीमांचल में दो बड़ी रैलियों को अमित शाह संबोधित करेंगे।
हालाँकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार बिहार में भाजपा खुद की सरकार नहीं बनाने जा रही है, बल्कि नीतीश कुमार को वर्तमान सरकार से अलग थलग करने की तयारी कर रही है। बता दें कि भाजपा से अलग होने के बाद अब नीतीश कुमार ने स्वीकार किया है कि अब नरेंद्र मोदी के विरोध में विपक्षी पार्टियों से साथ खड़े होंगे, मतलब जाने अनजाने प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की बात कहने की कोशिश की है।
अमित शाह के दौरे को लेकर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 23 और 24 सितंबर को सीमांचल के इलाके में वो रहेंगे। 23 सितंबर को पूर्णिया में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। इसमें बिहार के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे। नित्यानंद राय ने बताया कि दूसरे दिन 24 सितंबर को अमित शाह किशनगंज आएंगे। वहां भी एक जनसभा को संबोधित करेंगे।
बता दें कि भाजपा ने सीमांचल के इलाके को इसलिए अपना केंद्र बनाया है, क्योंकि जेडीयू और आरजेडी का मजबूत पक्ष सीमांचल का क्षेत्र ही रहा है। ऐसे में बीजेपी अमित शाह के जरिए महागठबंधन के गढ़ में सेंध लगाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित कर रही है। बीजेपी की तरफ से इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है। मुख्य रूप से इन दोनों कार्यक्रमों के संयोजक बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल हैं।
बिहार में भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ की खबर को राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी के एक ट्वीट ने पहली बार हवा दी थी। दरअसल, मोदी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा है कि लालू प्रसाद यादव जब चाहेंगे अपने बेटे को सीएम बनवा देंगे। सुशील मोदी ने इसके पीछे के कारण भी गिनाए और कहा कि जेडीयू की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
पिछली बार 30-31 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार दौरे पर थे। पटना में संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दोनों नेताओं ने शिरकत की थी। इस दौरान जेपी नड्डा ने क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर सवाल उठाए थे। उसके 10 दिन के बाद बिहार के क्षेत्रीय दल जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन हो गया। बीजेपी सरकार से बाहर हो गई। ऐसे हालात में अमित शाह का 2 महीने के भीतर उनका दूसरा दौरा होगा और यहां से मिशन बिहार की शुरुआत होगी।
2019 में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी। इसमें जदयू के पास 16 सीटें आई थी। अब गठबंधन की नई परिस्थितियों में चिराग पासवान को भी जोड़ लें तो एनडीए के पास 23 सीटें हैं। जबकि 2024 के लिए नीतीश कुमार के बिना भी भाजपा ने 35 सीटों का लक्ष्य निर्धारित किया है। अमित शाह का यह दौरा इसी मुहिम की पहली और महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।
जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के अनुसार भाजपा कितना भी जोर लगा ले, बिहार में अब इनकी दाल नहीं गलने वाली है। अमन-चैन और सौहार्दपूर्ण वातावरण में रह रहे बिहार के लोगों पर इनके कुत्सित प्रयासों का कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
सुशील मोदी ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि अवध बिहारी चैधरी के स्पीकर बनने के बाद 45 विधायकों वाले जद-यू की उलटी गिनती शुरू हो गई है। लालू प्रसाद जब चाहेंगे, नीतीश कुमार को हटा कर बेटे को मुख्यमंत्री बनवा देंगे। जिस दल को 115 विधायकों का समर्थन प्राप्त है और स्पीकर उसी दल के हैं, वह कभी भी बाजी पलट सकता है।
जानिए क्या है असल गणित
आरजेडी के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी अब नए विधानसभा अध्यक्ष बने हैं। महागठबंधन में 164 विधायकों में से अगर नीतीश कुमार के 43 एमएलए कम कर दिए जाएं तो कुल योग 121 होता है, जबकि बिहार में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। और ऐसे में नीतीश कुमार को छोड़कर सरकार बना लेना राजद के लिए कोई मुश्किल का काम नहीं है। लालू प्रसाद अभी पटना में ही हैं और ऐसे में इन अटकलों को आप एक सिरे से नकार भी नहीं सकते।