पटना : कोरोना वायरस ने पूरे देश की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख दी है। तमाम बड़े शहरों में भी बेड, ऑक्सीजन और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है, लेकिन इन सबके बीच कोरोना मरीजों के लिए सबसे अच्छा शहर पुणे हैं। हाउसिंग डॉट कॉम के एक हेल्थ केयर सर्वे के मुताबिक कोरोना मरीजों के लिए सबसे बेहतर शहर है। पूरे देश में प्रति 1 हजार लोगों पर मौजूद बेड का औसत निकाले तो पुणे में यह 3.5 बेड उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल में प्रति एक हजार आबादी पर आधे और निजी अस्पतालों में 1.4 बेड है। स्वास्थ्य सुविधाओं में पुणे सबसे विकसित शहर है। दूसरे नंबर पर अहदाबाद है। इस शहर में एक हजार लोगों पर 3.2 बेड है। तीसरे नंबर पर बेंगलुरु है। चौथे नंबर पर मुंबई और पांचवें नंबर पर हैदराबाद है। जबकि छठे नंबर पर चेन्नई, सातवें नंबर पर कोलकाता और आठवें नंबर पर दिल्ली-एनसीआर है। इस रैंकिंग में सबसे नीचे दिल्ली-एनसीआर के होने का कारण साफ-सफाई की बदतर व्यवस्था है।
8 स्तर पर बनाई गई रैंकिंग
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पुणे सबसे बेहतर शहर है। इसका आकलन आठ पैमानों पर किया गया है। इन आठ पैमानों में अस्पतालों में बेड की संख्या, हवा-पानी की क्वालिटी, साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन, रहने में आसानी, नगर निगम के प्रदर्शन को मापा गया है।
पटना हाईकोर्ट ने कोरोना जांच, इलाज और मौत को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों को दिया टास्क
कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति को लेकर पटना हाईकोर्ट लगातार सख्त कदम उठा रही है। अब हाईकोर्ट ने कोरोना को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों को नई जिम्मेदारी दी है। कोर्ट ने कहा है कि कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों को पंचायत प्रतिनिधि 24 घंटे में रिकॉर्ड करेंगे। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने सभी मुखिया, उप मुखिया, प्रखंड प्रमुख, उप प्रमुख, जिला परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को निर्देश दिया है कि कोरोना से मरने वालों की जानकारी पास के जन्म और मृत्यु निबंधकों को 24 घंटे में दे। ऐसे होने से अधिकारियों को आसानी से पता चलेगा कि राज्य में कितने लोगों की मौत हुई है। अगर, ये सभी जनप्रतिधि इस जानकारी को शेयर करने में चूक करते हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
कोर्ट- मेडिकल इमर्जेंसी के दौर से गुजर रहा पूरा राज्य
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि पूरा राज्य मेडिकल इमर्जेंसी की दौर से गुजर रहा है। कोर्ट ने कहा कि 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में है और गांवों में भी कोरोना बढ़ रहा है। इस वायरस ने पूरे राज्य में त्राहिमाम मचा दिया है। अब तीसरी लहर आने की भी आशंका है। ऐसे में हमें गांवों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने की जरूरत है।
गांवों में टेस्ट, दवा और इलाज को बढ़ाए जनप्रतिनिधि
सूबे के हर गांव में कोरोना की जांच, आइसोलेशन, दवा की व्यवस्था की जांच जनप्रतिनिधि करेंगे। चूंकि उन्हें अपने-अपने क्षेत्र की बखूबी जानकारी होती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बिना सही आंकड़ों के हम इस महामारी से कैसे निपटेंगे? इसलिए हमने सभी जनप्रतिनिधियों को यह टास्क दिया है।
बिहार में 7494 नए पॉजिटिव मिले, राजधानी में सबसे अधिक
बिहार में शुक्रवार को कोरोना के 7494 नए मरीज मिले। इनमें पटना में सबसे अधिक मरीज सामने आए। यहां 967 पॉजिटिव केस मिले हैं। दूसरे नंबर पर पूर्णिया रहा, जहां 441 नए मरीज मिले हैं। बीते 24 घंटे में 108316 सैंपल की जांच में इतने लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे पहले 17 अप्रैल को 7870 मरीज मिले थे।