कोविड-19 महामारी (COVID19 Pandemic) की दूसरी लहर के दौरान अपने ग्राहकों को सहयोग देने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने सदस्यों को दूसरे गैर-वापसी कोविड-19 एडवांस का लाभ उठाने की अनुमति दे दी है।
कोविड-19 महामारी के दौरान ईपीएफ सदस्यों विशेषकर उन लोगों के लिए जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपए से कम है, बड़ी सहायता मिली है। पिछले वर्ष भी कर्मचारियों को ये एडवांस दिए गए थे। ईपीएफओ ने अब तक 76.31 लाख कोविड एडवांस दावों का निपटान किया है और कुल 18,698.15 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं।
EPFO has allowed its members to avail second non-refundable advance. The decision was taken in view of the second wave of the #COVID19 pandemic.@socialepfo pic.twitter.com/JMFJIs3iEP
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) May 31, 2021
पहला एडवांस ले चुके व्यक्तियों के लिए भी है यह सुविधा
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान हाल में ‘म्यूकोर्मिकोसिस’ यानि ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया गया है। ऐसे कठिन समय में ईपीएफओ का लक्ष्य अपने सदस्यों की मदद करना रहा है ताकि वे अपनी वित्तीय आवश्यकताएं पूरी कर सकें। ऐसा नहीं है कि पहला कोविड-19 एडवांस का लाभ उठाने वाले सदस्य दूसरे कोविड-19 एडवांस से वंचित हो जाएंगे। वे दूसरा कोविड-19 एडवांस भी ले सकते हैं। दूसरे कोविड-19 एडवांस का प्रावधान और प्रक्रिया पहले एडवांस की तरह ही है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन विश्व में सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन विश्व में सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है। यह एक सरकारी संगठन है, जो सदस्य कर्मचारियों की भविष्य निधि और पेंशन खातों का प्रबंधन करता है। यह कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 को को लागू करता है। इसकी स्थापना 15 नवम्बर 1951 में कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश के जारी होने के साथ हुई। कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिये भविष्य निधि संस्थान के रूप में काम करता है। इस संगठन के प्रशासन के लिए श्रम और रोज़गार मंत्रालय, भारत सरकार जिम्मेदार है।
कर्मचारी भविष्य निधि पर दिया जाने वाला ब्याज होता है कर मुक्त
कर्मचारी भविष्य निधि विधेयक वर्ष 1952 में संसद में पेश किया गया था। यह उस वर्ष का 15वाँ विधेयक था जो संसद में पेश किया गया था। इसके सदस्य बनने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि, पेंशन एवं बीमा संबंधी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक कर्मचारी को कार्यग्रहण के समय भविष्य निधि योजना के लिए अपना नामांकन करवाना होता है। कर्मचारी भविष्य निधि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण निवेश है। इस पर दिया जाने वाला ब्याज कर मुक्त होता है एवं इसके परिपक्वता संबंधी लाभ भविष्य में आर्थिक रूप से काफी सहायक सिद्ध होते हैं। अगर लम्बे समय तक भविष्य निधि के रूप में धन की बचत की जाए तो यह कर्मचारी के लिए भविष्य में एवं सेवानिवृत्ति के बाद की जरूरतों के लिए बहुत सहायक सिद्ध होता है।
लागू होने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम में 15 बार हो चुका है संशोधन
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के अंतर्गत महामारी के दौरान सदस्यों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसमें मार्च, 2020 में विशेष निकासी का प्रावधान किया गया था। इस विषय में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार तीन महीने का मूल वेतन, महंगाई भत्ते की सीमा तक गैर-वापसी योग्य निकासी और ईपीएफ खाते में सदस्य की जमा राशि में जो भी कम हो उसका 75 प्रतिशत तक दिया जाता है। सदस्य कम राशि के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम के लागू होने के बाद से अब तक इसमें 15 बार संशोधन किया जा चुका है।
ईपीएफओ दावों को तीन दिनों के अंदर निपटाने के लिए है ऑटो-क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया
ईपीएफओ ने संकट के समय में सदस्यों के लिए वित्तीय सहयोग की आवश्यकता पर विचार करते हुए कोविड-19 दावों को उच्च प्रथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। ईपीएफओ दावों की प्राप्ति के तीन दिनों के अंदर उन्हें निपटने के लिए ईपीएफओ ने ऐसे सभी सदस्यों के संबंध में एक प्रणाली संचालित ऑटो-क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया की शुरुआत की है। इसके लिए इन सदस्यों की केवाईसी पूरी होनी चाहिए।