माननीय प्रधानमंत्री जी, आपका यह फैसला यथोचित है। देशहित में है, लोकहित में है। क्योंकि जान है तो जहान है। पर, 21 दिनों का नेशनल लॉकडाउन (National Lockdown) ऐसे नहीं घोषित करना चाहिए था। पहले से जारी लॉकडाउन को ही फोर्सली फाॅलो करवाया जाता और इसी दौरान आमलोगों के घरों में कुछ दिनों के राशन आदि की व्यवस्था करवा दी जाती।
आज आपके ‘आठबजिया फैसले’ के बाद लगभग पूरे देश में जरूरी सामान आदि लेने के लिए सड़क पर जो लोगों का हुजूम निकला है, वो नहीं निकलता। आज की रात बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान करे कुछ न हो, पर अगर इतनी भीड़ में एक भी वैसे लोग शामिल हुए होंगे, तो फिर आगे क्या होगा।
अब आपसे गुजारिश है कि आमलोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को निर्देश दें कि आमलोगों को यह आश्वस्त कराया जाए कि खाने-पीने के सामानों की किल्लत किसी भी हाल में नहीं होने दी जाएगी। राज्य सरकारें अगर चाहें तो कोई व्यवस्था करवाकर लोगों के घर-घर सामानों की डिलीवरी करवा सकती है। यह समय वाकई हर किसी को सोचने का है। लोग तो सोचने से रहे, अगर सोचते तो सड़क पर बेवजह इतनी भीड़ नहीं रहती और मजबूरन आपको नेशनल लॉकडाउन नहीं करना पड़ता। जो भी हो, अब सबको इस गंभीर महामारी का डटकर मुकाबला करना होगा। दिल से दिमाग से…
(यह पोस्ट पत्रकार संजीत मिश्रा के फेसबुक वाल से लिया गया है. )