पटना: 14 महीने बाद किसान आंदोलन खत्म हो गया है। सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर गुरुवार की दोपहर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद आंदोलन वापसी का निर्णय लिया गया है। दिल्ली बॉर्डर पर 378 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान अब टेंट उखाड़ने लगे हैं। सभी अपने-अपने घर वापसी की तैयारियों में लगे हैं। किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं। कहा कि हमने इसे स्थगित किया है। फिर 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। उस दिन आंदोलन की समीक्षा करेंगे। आंदोलन की अगुआई करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने भी अपना कार्यक्रम बनाया है। 11 दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए फतेह मार्च करेंगे। सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए रवाना होंगे। 13 दिसंबर को पंजाब के 32 संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में मत्था टेकेंगे। इसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब में 116 जगहों पर लगे मोर्चे खत्म किए जाएंगे। हरियाणा के 28 किसान संगठन भी अलग से रणनीति बना चुके हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 15 जनवरी को समीक्षा बैठक कर हम विचार करेंगे कि आंदोलन से हमने क्या पाया और सरकार ने कितनी मांगों को मान लिया है। 11 दिसंबर से किसान लौटना शुरू कर देंगे और 15 दिसंबर को पंजाब में भी सभी मोर्चे खत्म हो जाएंगे। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हम इस आंदोलन के दौरान सरकार से हुए करारों की समीक्षा करते रहेंगे। सरकार अपनी ओर से किए वादों से पीछे हटेगी आंदोलन फिर शुरू किया जा सकता है।