पटना : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अब एनडीए की परीक्षा में लड़कियां शामिल हो सकेंगी। इस वर्ष से लड़कियां एनडीए की परीक्षा दे सकती हैं। 14 नवंबर को परीक्षा होनी है, जिसमें लड़कियां भी शामिल होंगी। हालांकि दाखिले पर फैसला कोर्ट बाद में लगेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशल कौल और जस्टिस ऋशिकेश राय की पीठ ने बताया कि सेना को महिलाओं के प्रति रवैया बदलना चाहिए। कोर्ट ने यूपीएससी परीक्षा पर संशोधित अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। बता दें सुप्रीम कोर्ट में कुश कालरा, संस्कृति मोरे और कई अन्य ने याचिकाएं दायर कर लड़कियों को 12वीं के बाद एनडीए की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की थी। एनडीए की परीक्षा में 370 सीटों के लिए 4.5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल होंगे।
याचिकाकर्ता संस्कृति मोरे कौन है
एनडीए की परीक्षा में लड़कियों के शामिल किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने वाली संस्कृति मोरे छठी क्लास की छात्रा है। कोर्ट के फैसले के बाद संस्कृति मोरे ने कहा कि मैं कक्षा 6 में हूं। मुझे बचपन से आर्मी का क्रेज है। मेरी बुआ का लड़का देहरादून के सैनिक स्कूल में जाने की तैयारी कर रहा है। उसने मुझे एनडीए के बारे में बताया था। फिर पता चला कि वहां लड़कियां नहीं जा सकतीं। मेरे पापा कैलाश मोरे वकील हैं। मैंने उनसे पूछा कि स्कूल में लड़के-लड़कियां साथ पढ़ सकते हैं तो एनडीए में क्यों नहीं? कुछ दिनों के बाद पापा ने कहा कि उन्होंने केस फाइल कर दिया है और आज हम जीत गए। मैं बड़ी होकर एनडीए में जा सकूंगी। अब मेरा सपना पूरा होगा।