अजीत।
पार्टी में कलह और कमजोर संगठन से लस्त-पस्त हो चुकी कांग्रेस में पहले प्रशांत किशोर और उसके बाद जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के आने की चर्चा मीडिया में जोरों पर है। दोनों ही बिहार से ताल्लुक रखते हैं। प्रशांत किशोर की कांग्रेस में प्रवेश का अंतिम फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।
इससे पहले प्रशांत किशोर की सोनिया, राहुल और प्रियंका से कई दौर की बात-चीत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि पुराने कांग्रेसी प्रशांत किशोर को पार्टी में लाने के पक्षधर नहीं हैं। हालांकि प्रशांत किशोर पंजाब सहित कांग्रेस के कई राज्यों में चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभा चुके हैं। मीडिया के सूत्रों से मिली जानकारी भाजपा पर तीखा हमला बोलने के लिए मशहूर जेएनयू के फायर ब्रांड नेता कन्हैया को कांग्रेस में लाने की भी प्रशांत पैरवी कर रहे हैं। पीके की मौजूदगी में पहले ही कन्हैया की राहुल गांधी से दो बार मुलाकात हो चुकी है। बिहार कांग्रेस के संगठन में बदलाव की चर्चा के बीच आकलन है कि कन्हैया को बिहार कांग्रेस में कोई जगह मिल सकती है। कन्हैया के भाषण मीडिया में खासी सुर्खियां बटोरते हैं। उनकी अपनी अच्छे खासे प्रशंसक भी हैं। कन्हैया से पहले जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष संदीप सिंह और मोहित पांडेय भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। 2007 में जेएनयू अध्यक्ष रहे संदीप सिंह यूपी प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक सलाहकार हैं।
भाजपा विरोधी मोर्चे के पोस्टर ब्याय रहे हैं कन्हैया
जेएनयू में कथित तौर पर देशद्रोही नारेबाजी में मुकदमे का सामना कर रहे कन्हैया अपनी मुखरता से मीडिया और समाज का नैरटिव बदल दिये। अपनी बातों को तर्क के साथ प्रभावशाली तरीके से रखने वाले कन्हैया ने सीएए, एनआरसी के विरोध में बिहार में जनगणमन यात्रा निकाली थी। इसमें हालांकि कई जगह कई जिलों में उनका विरोध हुआ। उनकी गाड़ी पर पत्थरबाजी हुई, लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा पूरी की। कन्हैया ने यह यात्रा अपनी पार्टी सीपीआइ के बैनर तले नहीं निकाली थी। उनकी यात्रा में कई दलों के समूहों के नेता भी थे। 2019 में बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले कन्हैया हालांकि हिंदुत्ववादी नेता केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से चार लाख वोटों से चुनाव हारे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने खासी सुर्खियां बटोरीं।
भाकपा से नाराजगी की खबरें
हाल ही में हुए बिहार के विस चुनाव में कुछ कन्हैया समर्थकों की पटना के सीपीआइ कार्यालय जनशक्ति भवन के कार्यालय सचिव से किसी बात को लेकर झड़प हो गयी। इस घटना के विरोध में हैदराबाद में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कन्हैया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। इसी के बाद कहा जा रहा है कि कन्हैया शायद भाकपा छोड़ सकते हैं। कांग्रेस में कन्हैया को लाने के लिए एनएसयूआइ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व विधायक नदीम जावेद को इसकी जिम्मेवारी सौंपी गयी है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में सीपीआइ के मुख्यालय अजय भवन से कन्हैया ने अपना दफ्तार भी खाली कर दिया है। हालांकि भाकपा के नेताओं का कहना है कि ऐसा नहीं है। कन्हैया हाल ही में हुई पार्टी की बैठक में शामिल हुए थे।
सवाल तो कई हैं
बिहार कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता क्या कन्हैया को समायोजित कर पायेंगे : गठबंधन के भरोसे चल रही बिहार कांग्रेस भी भारी गुटबाजी और कलह से जूझ रही है। यहां इतने गुट हैं कि कांग्रेस के नेता भी नहीं जानते। कई बार कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सदाकत आश्रम में कई नेताओं के समर्थक भिड़ चुके हैं. मारपीट, हाथापायी भी हो चुकी है। पिछले दिनों बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास भी बिहार यात्रा में भी गुटबाजी और मारपीट की घटनाएं हो चुकी हैं। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कन्हैया को पचा लेंगे? क्या उनका विरोध नहीं होगा?