कोरोना महामारी के विकट संकट में जब सरकारों द्वारा की जा रही सभी स्वास्थ्य तैयारियां कम पड़ रही थीं, तब सामाजिक जीवन से जुड़े कई लोग एवं संगठन सेवा कार्य के लिए स्व प्रेरणा से आगे आए और उन्होंने इस गहराते संक्रमण के संकट के बीच कोरोना को हराने में अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई। ”कर्मा फाउंडेशन” ने देश के तीन राज्यों में अनेक लोगों सांसों की डोर को बांधे रखा और उनकी जान बचाने में अपनी अहम भूमिका समय पर ऑक्सीजन की पूर्ति कर निभाई।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की बेहद चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच ऑक्सीजन जैसी बुनियादी चीज के लिए तड़प रहे लोगों को इस कठिन समय में ”कर्मा फाउंडेशन” की युवा सामाजिक कार्यकर्ता ध्वनि जैन के नेतृत्व में राष्ट्र में ऑक्सीजन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए मिशन O2 शुरू किया है। दुनिया भर के समर्थकों की मदद से, ”कर्मा फाउंडेशन” द्वारा यूरोप से मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन सिलेंडर भारत मंगाए गए और यह प्रक्रिया पिछले कई दिनों से सतत जारी है। उक्त सिलेंडर उनकी पूरी टीम द्वारा दिल्ली की बस्तियों में और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों में भेजे जा रहे हैं, जहां की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही थी। दरअसल, कोरोना काल में मदद मुहैया कराने वाली संस्थाओं के लिए असल मुश्किल तब आती, जब दूरगामी इलाकों से मदद के लिए कॉल्स आते। ऐसे में ‘कर्मा फाउंडेशन’ आगे आया।
‘कर्मा फाउंडेशन’ ने अपने बनाए प्लान के तहत उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी, जो शहरों से कुछ और अधिक अंदर स्थित हैं और वहां आसानी से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं। संगठन की युवा टीम ने कई समूहों में बंटकर कार्य को अंजाम देना शुरू किया। इसके पहले इन तीन राज्यों में तीन नोडल समूह बनाए गए जो इस ऑक्सीजन की पूर्ति को देखते हैं और पूरे कम्प्यूटराइज सिस्टम से इसकी निगरानी करते हैं। फिर राज्यों में संभाग स्तर पर युवाओं को जोड़कर ”कर्मा फाउंडेशन” ने अपनी लोकल बॉडी खड़ी की और उसके बाद उनके माध्यम से दूर दराज के क्षेत्रों व अन्य गांवों को चिन्हित किया गया, जहां सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है। उसके बाद कार्यकर्ता दिन रात मेहनत कर ऑक्सीजन की पूर्ति में लग गए, जो कार्य अभी भी सतत जारी है ।
”कर्मा फाउंडेशन” की युवा सामाजिक कार्यकर्ता ध्वनि जैन कहती हैं “कोरोना वायरस की दूसरी लहर की शुरुआत से ही हम में से प्रत्येक नागरिक एक दूसरे को आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। उस समय हम मुख्य रूप से देश में उपलब्ध सीमित संसाधनों के पीछे भाग रहे थे। कई बार हम सहायता करने में सफल होते और कभी संसाधनों की कमी के कारण अपने प्रयास में विफल होते और इसलिए ही मैंने अपने देश में संसाधनों को बढ़ाने की दिशा में काम करने का फैसला किया।”
ध्वनि कहती हैं कि हम अपनी आखिरी सांस तक काम करना जारी रखेंगे और उन दानदाताओं के आभारी रहेंगे, जिन्होंने हम पर विश्वास जताया है। वास्तव में महामारी के दौरान दुनिया भर से जो समर्थन मिल रहा है, वह मानवता में हमारे विश्वास को और अधिक पुष्ट एवं पुनर्स्थापित करता है ”वसुधैव कुटुम्बकम्” के भारतीय दर्शन को चरित्रार्थ करता हुआ वर्तमान में दिखाई देता है। ध्वनि बताती हैं कि इस पुनीत कार्य में अमेरिका से हमें जबरदस्त सहयोग मिला है। अमेरिका में रह रहे इस संगठन से अब जुड़ चुके समर्थकों का कहना है कि हम पिछले साल कोविड की पहली लहर के दौरान ध्वनि एवं ”कर्मा फाउंडेशन” द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरित हुए और मानवता के लिए उनकी सेवा में हमको पूर्ण विश्वास पैदा हुआ। इसलिए, अपने भारतवासियों की मदद करने के लिए हम एक साथ आगे आए, जिसकी जितनी मदद हो सकती है, वह लेकर भारत पहुंचा रहे हैं। इसके पीछे ध्वनि जैन की सकारात्मक सोच है।