पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने एक जून को अपनी शादी की 48वीं सालगिरह (Wedding Anniversary of Lalu-Rabri) मनाई। इस मौके पर दोनों पर्सनैलिटी को लोगों ने सोशल मीडिया पर भी खूब बधाई दी। लालू-राबड़ी की बेटी व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव (Tej Pratap Singh Yadav) की पत्नी राजलक्ष्मी (Raj Lakshmi Yadav) ने मम्मी-पापा की खूबसूरत तस्वीर शेयर कर लोगों का दिल जीत लिया। कुछ फोटोज के साथ राजलक्ष्मी ने कैप्शन में लिखा, हैपिएस्ट वेडिंग एनिवर्सरी टू माई ब्यूटीफुल एंड हैंडसम मम्मी-पापा।
Happiest wedding anniversary to my Beautiful&Handsome “maa & paa”❤️💕@RabriDeviRJD @laluprasadrjd pic.twitter.com/STFRZ3DS7v
— Raj Lakshmi Yadav (@Rajlakshmiyadav) June 1, 2021
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने लालू-राबड़ी दंपती को शादी की सालगिरह की शुभकामनाएं दी हैं। सोशल मीडिया पर लालू व राबड़ी के तमाम समर्थकों व पार्टी के सदस्यों ने भी अपने अपने अंदाज में दोनों को बधाई दी है।
चारा घोटाले के मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद लाल प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) दिल्ली में अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) के घर पर हैं। वे खराब स्वास्थ्य के कारण फिलहाल बिहार नहीं आ रहे हैं। उनकी पत्नी राबड़ी और बड़े बेटे तेजस्वी यादव भी दिल्ली में ही हैं। पिछले दिनों लालू और राबड़ी की ताजा तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर नजर आई थीं। बिहार के दो राजद विधायकों ने मीसा के बंगले पर जाकर अपने नेता से मुलाकात की थी और इसी दौरान लिया गया फोटो शेयर किया था।
बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और राबड़ी देवी (Rabri Devi) की लव स्टोरी थोड़ी अलहदा है। एक बार लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि वे राबड़ी देवी से छिपकर मिले थे। वह उन्हें चिट्ठी भी लिखा करते थे, इसका जिक्र राबड़ी देवी ने भी किया है। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार राजद सुप्रीमो की शादी एक जून 1973 को हुई थ्ज्ञी। इस लिहाज से दंपती इस बार अपनी 48वीं सालगिरह मना रहे हैं।
लालू-राबड़ी की शादी कोई लव मैरिज नहीं थी, बल्कि यह शादी अभिभावकों के फैसले के आधार पर हुई थी। शादी के समय राबड़ी का परिवार लालू के परिवार की अपेक्षा काफी सुखी-संपन्न था। बावजूद इसके राबड़ी के पिता ने लालू की काबिलियत और शिक्षा-दीक्षा को देखते हुए उन्हें अपना दामाद चुना। इसके लिए उन्हें अपने घर में विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन वे अपने फैसले पर कायम रहे, क्योंकि तब पढ़ा-लिखा लड़का मिलना थोड़ा मुश्किल होता था।