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युवा वर्ग को अब भी ओमिक्राॅन से ऐहतियात बरतने की जरूरत: नरेश त्रेहन

ज्ञानभद्र, दिल्ली।
ओमिक्राॅन वैरिएंट को हल्के एवं नरम वायरस के रूप में समझा जा रहा है। विस्तृत रूप से समझने की आवश्यकता है कि इस ओमिक्राॅन वायरस के पूर्णरूपेण व्यवहार का कोई पता नहीं है। यह वायरस विदेश से आया है। विदेशों से आने वाले लोग दिल्ली या मुंबई एयरपोर्ट पर उतरते हैं। देखा गया है कि तीनों लहर में महामारी की शुरुआत इन्हीं दो महानगरों से हुई है, फिर वायरस छोटे शहरों, कस्बों और गांव में फैला है, यह कहना है कि मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन का।

मेदांता मेडिसिटी अस्पताल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन कहते हैं कि अब दो विचारणीय पहलु हैं। अब हर जगह ओमिक्राॅन संक्रमण की दर कम हो रही है, लेकिन इसके साथ ऐसा भी है कि वायरस टेस्टिंग भी कम हो रही हैं। संक्रमण की पोजिटिविटी दर कम हो रही है। लोग होम किट के माध्यम से घरों में संक्रमण की जाँच कर रहे हैं। लोग पोजिटिव आने की स्थिति में संबंधित सरकारी संस्थानों को सूचित नहीं कर रहे हैं। इसकी असलियत क्या है? यह अभी किसी को अंदाजा नहीं है, लेकिन हम इस तथ्य से वाकिफ है कि इस वायरस की संक्रमण प्रक्रिया की समाप्ति नहीं हुई है। और न ही इस वायरस की पीक चली गयी हैं।

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डॉ नरेश त्रेहन कहते हैं कि यह स्पष्ट है कि इस वायरस की वस्तुस्थिति मालूम नहीं है। इस संदर्भ में, मेरी सलाह है कि लोग यह न समझे कि संक्रमण की चरम स्थिति आकर चली गई है, मतलब अब संक्रमण की दर में लगातार गिरावट आएगी, यह समझना भूल होगी। डॉ त्रेहन विश्लेषण करते हुए कहते हैं कि लोगों का समझना चाहिए कि वायरस अभी मौजूद एवं खतरनाक है। इस ओमिक्राॅन-संक्रमण से जुड़े दो पहलुओं को प्रत्येक व्यक्ति को समझने की आवश्यकता है। डॉ त्रेहन खेद व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अभी युवा वर्ग में ऐसी धारणा बन चुकी है कि युवक, संक्रमित होने की स्थिति में, ऐसा सोचते हैं कि वायरस नरम एवं हल्का है, इसलिए उन्हें कुछ नहीं होगा। लेकिन वे इस तथ्य को पूर्णरूपेण नजरंदाज करते हैं कि वे किसी परिवार के सदस्य है।

युवा होने की वजह से वायरस का प्रभाव उनपर कम होगा, लेकिन परिवार में बुजुर्ग, बच्चे एवं साथ की बीमारी (कोमोरबिड) से ग्रसित सदस्य भी होंगे। अगर बुजुर्ग एवं बच्चे उन युवक द्वारा संक्रमित होते हैं, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। और ऐसे युवा अपने आपको जिंदगी भर माफ नहीं कर पायेंगे। अतएव, हमें पूर्णरूप से सावधानी एवं जरूरी ऐहतियात बरतने की आवश्यकता है, डॉ त्रेहन कहते हैं।

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