जून 2013 में आई भयंकर बाढ़ में केदारनाथ मंदिर के पीछे कहीं से एक बहुत बड़ा चट्टान का टुकड़ा आकर सिर्फ़ कुछ ही फ़िट पीछे एक रक्षा कवच के रूप में आकर खड़ा हो गया था। सोचिए इतना बड़ा चट्टान का टुकड़ा ठीक कुछ फ़ीट पहले आकर रुक गया, पीछे से आ रहे बाढ़ के पानी से भी नहीं हिला, बाढ़ के बहुत तेज़ रफ़्तार पानी को उसने दो भागों में डिवाइड कर दिया था, जिससे 1000 से भी ज़्यादा साल पुराना मंदिर सुरक्षित बच पाया।
हालांकि, उस समय जब हमने इस घटना के बारे में सुना था, तो लगा था कि ये कैसा ईश्वर है, हज़ारों लोगों की जान तो ले लिए और खुद अपना मंदिर बचा लिए, लेकिन अब लगता है कि मंदिर का बचना कितना ज़रूरी था, लोगों की जानें लेकर प्रकृति ने ये संदेश दिया था कि अवैध निर्माण, पेड़ों की कटाई और अंधाधुंध खनन करके इंसान जो प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है, प्रकृति उससे नाराज़ है और एक अरब लोगों की आस्था के प्रतीक को बचाकर ईश्वर ने ये संदेश दिया था कि मैं अपनी पूरी शक्ति के साथ हूं तुम्हारे साथ, तुम सच्चाई के साथ रहो, बाक़ी मुझ पर छोड़ दो…।
2020-05-22