वर्तमान स्थिति में मानव-सभ्यता कोविड-19 वैश्विक महामारी के अत्यंत बुरे दौर से गुज़र रही है। इस महामारी से बचने के लिए आवश्यक ऐहतियात का पालन करते हुए हम लोगों ने इस परिस्थिति से समझौता कर लिया है। साधारणतया कोरोनावायरस संक्रमण के लक्षण हैं : बुखार आना, खाँसी, डायरिया, थकावट होना। ये शुरुआती लक्षण बाद में कष्टदायक रेसपेरिटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) के रूप में परिणत हो जाते हैं। यानि संक्रमित व्यक्ति को गंभीर श्वास-संबंधी लक्षण-समष्टि के दौर से गुज़रना पड़ता है।
“हाल में विश्व के कई देशों में कोरोनावायरस की तंत्रिका-संबंधी प्रणाली पर संभावित संक्रमण पर शोध किये गये। शोध से प्राप्त निष्कर्ष के अनुसार, ऐसा पाया गया कि कोरोनावायरस केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली (मसलन्; ब्रेन एवं मेरुदंड (स्पाइनल कॉर्ड) को संक्रमित करता है। अथवा कोरोनावायरस पेरिफ़रल नर्वस सिस्टम (परिधीय तंत्रिका प्रणाली) को संक्रमित करता है जिसमें तंत्रिकाएँ और मांसपेशियाँ सम्मिलित हैं,” यह कहना है डॉ विनय गोयल का जोकि बतौर डायरेक्टर (न्यूरोलॉजी), इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़, मेदांता गुरुग्राम में कार्यरत हैं।
डॉ गोयल आगे बताते हैं कि कोरोनावायरस की वजह से संक्रमित हुए केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली के सामान्य लक्षणों में प्रमुख हैं : ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क रक्तस्राव), ब्रेन फ़ीवर (मस्तिष्क ज्वर जोकि मेनिनजाइटिस/इन्सेफ़्लाइटिस रोग के रूप में उभरकर आता है) तथा सिरदर्द इत्यादि। यदि संक्रमित व्यक्ति को मुँह में स्वाद न आना तथा सूँघने की शक्ति में कमी जैसे लक्षण दिख रहे हों, तो ऐसी स्थिति तंत्रिका-संबंधी लक्षणों की ओर संकेत करती है। अत्यधिक गंभीर लक्षणों में प्रमुख हैं : स्वभाव में परिवर्तन, मिर्गी-संबंधी दौरे, वस्तुओं को एकटक देखना/खुद से बातें करते रहना (हलुसनेशन यानि मतिभ्रम होना) बेहोश हो जाना/रेस्पॉन्स ना करने की स्थिति में होना।
डॉ गोयल का कहना है असामान्य लेकिन जोखिमपूर्ण लक्षणों में प्रमुख हैं : कष्टप्रद ब्रेन सूजन (जिसे हम एक्यूट नेक्रोटाइज़िंग हेमरेजिक इन्सेफ़लोपेथी कहते हैं) तथा गंभीर ब्रेन डी माइलिनेशन/ स्वेलिंग (एक्यूट डिसीमिनेटेड इंसेफ़ैलोमाईलिटिस) आँखों की रोशनी में असामान्य रूप से परिवर्तन (ऑप्टिक न्यूरैटिस) सुनने की शक्ति में कमी आना, सिर में चक्कर आना (वार्टिगो) कोविड-19 के संक्रमण-रूपी लक्षण हो सकते हैं।
सलाह बतौर डॉ गोयल कहते हैं कि संक्रमित केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली से जुड़े सभी लक्षणों का रोग-निदान एवं उपचार अविलंब किया जाना चाहिए ताकि संक्रमण की जोखिमपूर्ण स्थिति से बचा जा सके। जहाँ तक सामान्य परिधीय तंत्रिका प्रणाली (पेरिफ़रल नर्वस सिस्टम) के लक्षणों का प्रश्न है, इनमें प्रमुख हैं : गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (जीबीएस), क्रेनियल नर्व पाल्सी (ऐनोसमिया/सूँघने की शक्ति में कमी होना, फ़ेशियल पाल्सी, सुनने की शक्ति में कमी होना, डायपलोपिया/आँखों द्वारा एक वस्तु दो-दो दिखना) इत्यादि।
वस्तुतः गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (जीबीएस) तंत्रिकाएँ-संबंधी विकार है। इस विकार में, शुरुआती दिनों से सप्ताहों तक ऐसा अवलोकित किया गया कि शरीर के ऊपरी अंगों तथा शरीर के निचले अंग में तीव्रता से शक्ति की कमी महसूस की जाती है। बाद में यह विकार श्वास-संबधी माँसपेशियों को प्रभावित करता है जिसकी वजह से इस विकार से संक्रमित व्यक्ति को कृत्रिम स्वास यंत्र की आवश्यकता पड़ती है।
डॉ गोयल का कहना है कि न्यूरोलॉजिस्ट इस विकार का रोग-निदान एवं उपचार इम्यूनोग्लोबुलिन या प्लाज़्माफेरिसस के माध्यम से करते हैं। अन्य असामान्य परिधीय तंत्रिका प्रणाली के संक्रमण से उत्पन्न हुए लक्षणों में प्रमुख हैं : मांसपेशी में दर्द (माइलजिया), तंत्रिका दर्द (न्यूरॉल्जिया), नर्वपाल्सी (न्यूरोपैथी, तंत्रिका-संबंधी पक्षाघात)।
प्रस्तुति : ज्ञानभद्र