कोविड महामारी के दौर में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने डॉ. रेड्डीज लैब्स के सहयोग से ‘2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज’ (2-डीजी) दवा विकसित की है। इसे ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोविड के गंभीर रोगियों पर चिकित्सीय आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। ‘2-डीजी’ के साथ इलाज के बाद अधिकांश कोविड रोगियों के आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आई है। डीआरडीओ का कहना है कि इस दवा को आसानी से उत्पादित और बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है।
DCGI has granted permission for the emergency use of therapeutic application of drug 2-deoxy-D-glucose (2-DG) developed by Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences (INMAS), a lab of @DRDO_India in collaboration with Dr. Reddy’s Laboratories (DRL), Hyderabad. pic.twitter.com/FA2g5KXgti
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) May 8, 2021
अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने 1 मई को गंभीर कोविड-19 रोगियों के लिए इस दवा के आपातकालीन उपयोग को सहायक चिकित्सा के रूप में अनुमति दी है। इसे आसानी से उत्पादित और देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है। इस दवा के प्रयोग से मरीज की ऑक्सीजन निर्भरता भी कम होती है।
इससे पहले डीसीजीआई ने मई, 2020 में कोविड रोगियों में 2-डीजी के दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी। मई से अक्टूबर, 2020 तक मरीजों पर किए गए परीक्षणों में दवा को सुरक्षित पाया गया और रोगियों की हालत में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। परीक्षण का एक हिस्सा 6 अस्पतालों में और दूसरा हिस्सा देश के 11 अस्पतालों में किया गया था। कुल मिलाकर दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में 110 रोगियों पर इस दवा का इस्तेमाल किया गया।
कैसे होता है दवा का प्रयोग
परीक्षण से पता चला है कि यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करती है और उनकी ऑक्सीजन निर्भरता भी कम होती है। डीआरडीओ के अनुसार परीक्षण के दौरान जिन कोविड मरीजों पर 2-डीजी का इस्तेमाल किया गया, उनमें स्टैंडर्ड ऑफ केयर के निर्धारित मानकों की तुलना में अधिक तेजी से रोग के लक्षण खत्म हुए।
यह दवा पाउच में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर मरीज को दिया जाता है। डीआरडीओ ने कहा कि यह दवा वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा होकर वायरस को शरीर में आगे बढ़ने से रोक देती है। डीआरडीओ ने आधिकारिक बयान में बताया है कि इस दवा का इस्तेमाल कोविड मरीजों के चल रहे इलाज के साथ सहायक या वैकल्पिक तौर पर दिया जा सकता है। इसका उद्देश्य प्राथमिक उपचार की सहायता करना है।
डीआरडीओ ने कहा कि अप्रैल, 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान संगठन के वैज्ञानिकों ने इस दवा को रेड्डी की प्रयोगशालाओं के सहयोग से डीआरडीओ की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज ने विकसित किया है। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस) और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में हैदराबाद की लैब सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) की मदद से 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज के कई प्रयोग किए। प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण में पाया गया कि यह दवा गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करके उसकी वृद्धि को रोकती है।