पटना : कोरोना वायरस लगातार नए-नए हमले कर रहा है। पहले दिल, फिर मस्तिष्क और अब आंतों पर हमले कर रहा है। वायरस अब कोविड मरीजों के आंतों में भी थक्के और गैंग्रीन बना रहा है। मुंबई के अस्पतालों में अब तक एक दर्जन मामले आए हैं। डॉक्टरों ने आगाह किया किया है कोरोना मरीजों में पेट दर्द की शिकायतों को नजरअंदाज नहीं किया जाए और उसकी जांच कराई जानी चाहिए। डॉक्टरों ने बताया कि उनके अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के लगभग 16-30 प्रतिशत मरीजों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी होते हैं। उनमें सांस संबंधी परेशानियों के लक्षण नहीं होते। आंतों के थक्कों वाले मरीज तीव्र मेसेन्टेरिक इस्किमिया के शिकार हो सकते हैं। डॉक्टरों ने कहा कि यह दुर्लभ बीमारी है, जिससे मरीजों की मौत हो जाती है।
आईसीएमआर ने शोधकर्ताओं से मांगे रिसर्च
केंद्रीय संस्था इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश भर के स्वतंत्र शोधकर्ताओं को कोरोना से जुड़ी जानकारी में योगदान देने के लिए उनके नए-नए रिसर्च को मांगा है। आईसीएमआर ने कहा कि वर्तमान में वायरस के संक्रमण की प्रकृति, टीकों को लेकर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसी पहलुओं से जुड़ी जानकारी बेहद कम हैं। आईसीएमआर ने कहा कि टीके को लेकर संकोच, बीमारी के क्लीनिकल स्पेक्ट्रम और इसकी प्रगति के चालकों को समझना जरूरी है।
Bihar में Corona की तीसरी लहर तो नहीं? ढाई माह के मासूम सहित चार बच्चे की मौत
देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) की रफ्तार कुछ कम हुई नहीं कि तीसरी लहर (Corona Third Wave) का खतरा अभी से मंडराने लगा है। दरभंगा (Darbhanga) में रविवार को 24 घंटे में ढाई माह के मासूम सहित चार बच्चों की मौत से कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। अब आईजीआईएमएस (IGIMS Patna) में एक नया मामला सामने आया है। छपरा के एक 8 साल के मासूम में कोरोना संक्रमण देख डॉक्टर भी तीसरी लहर को लेकर दहशत में हैं।
आईजीआईएमएस (IGIMS Patna) के डाॅक्टरों के अनुसार बच्चे का फेफड़ा 90 फीसदी तक खराब हो चुका था और संक्रमण के कारण लिवर और किडनी पर भी काफी असर पड़ा था। बच्चे की आरटीपीसीआर और एंटीजन की जांच रिपोर्ट निगेटिव थी। सीटी स्कैन रिपोर्ट देख डॉक्टर शाॅक्ड रह गए। हालांकि डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की जान बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी और अब वह काफी हद तक इसमें सफल हो गए हैं।
आईजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल (Dr Manish Mandal) का कहना है कि बच्चे को उसके परिजन 22 मई को लेकर आए थे। बच्चे को बुखार के साथ खांसी और सांस फूलने की समस्या थी। उसे इमरजेंसी में भर्ती किया गया। इस दौरान जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि मासूम का फेफड़ा, किडनी और लिवर गंभीर रूप से संक्रमित हो चुका है, जिससे उसकी जान को खतरा है। डॉक्टरों की पूरी टीम लग गई। आरटीपीसीआर जांच कराई गई तो रिपोर्ट निगेटिव थी। कोरोना निगेटिव होने के बाद भी मासूम का फेफड़ा 90 प्रतिशत संक्रमित हो चुका था।
डॉ मनीष मंडल (Dr Manish Mandal) ने बताया कि सिटी स्कैन में कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद मासूम की जान के खतरे का अंदाजा लग गया। कोरोना से अक्सर इंसान का फेफड़ा संक्रमित होता है, लेकिन मासूम का मामला काफी चैंकाने वाला था। संक्रमण में फेफड़ा कम या पूरी तरह से काम कर देना बंद कर देता है, लेकिन उसके फेफड़े के साथ किडनी और लिवर भी पूरी तरह संक्रमित हो चुका था।
डॉक्टरों के अनुसार, मासूम की हालत बिगड़ती जा रही थी और टीम का प्रयास भी तेज होता जा रहा था। इस दौरान उसे एंटीबायोटिक के अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन और स्टेरॉयड के साथ नेबुलाइजेशन दिया गया। सांस की इतनी तकलीफ थी कि 16 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से ऑक्सीजन दिया जा रहा था। इमरजेंसी से उसे 27 मई को पीआईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां शिशु रोग विभाग के डॉ राकेश कुमार, डॉ आनंद कुमार गुप्ता और डॉक्टर सुनील कुमार के साथ कई अन्य डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी। अब बच्चे में सुधार दिख रहा है।