पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने और सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने की दिशा में मुस्लिम समाज ने बड़ी मिसाल पेश की है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मुस्लिम समाज ने ज्ञानवापी मस्जिद की एक हजार स्क्वायर फीट जमीन दान दे दी है। इस जमीन पर अभी मंदिर प्रशासन का कंट्रोल रूम है। आपसी सहमति के आधार पर इस निर्णय की काफी सराहना हो रही है। बता दें कोर्ट में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है, लेकिन यह सुलह काफी अहम माना जा रहा है।
बनारस का सांसद बनने के बाद पीएम ने कॉरिडोर का बनवाया था ब्लू प्रिंट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस का सांसद बनने के बाद काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का ब्लू प्रिंट तैयार करवाया था। 350 मकानों को अधिग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण तेजी से चल रहा है। कॉरिडोर की डिजाइन में ज्ञानवापी मस्जिद के वक्फ बोर्ड की जमीन के पास सुरक्षा टावर बनना है। इसको लेकर जमीन की जरूरत पर बात हुई तो मुस्लिम समाज ने अपनी ओर से वक्फ की जमीन को कॉरिडोर के लिए देने पर सहमति जताई। सहमति बनने के बााद मंदिर प्रशासन की ओर से बने प्रस्ताव को विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद में रखा गया। फिर वहां से मंजूरी मिलने के बाद जमीन की अदला-बदली हुई।
जमीन के विवाद पर 1991 में दायर हुआ था मुकदमा
ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन पर मंदिर निर्माण और हिंदुओं द्वारा पूजा करने के अधिकार को लेकर 1991 में मुकदमा दायर हुआ था। इस केस में निचली अदालत व सत्र न्यायालय के आदेश के विरुद्ध 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट से कई वर्षों से स्टे होने से वाद लंबित रहा। फिर 2019 में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वरनाथ द्वारा वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील की गई कि संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराया जाए। इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड शुरू से प्रतिवादी है।