पटना। सियासत की दुनिया में लालू यादव अकेला पापी है, बाकी तो सभी साधु संत हैं। अभी रांची की अदालत से लालू यादव को सजा मिली। सजा मिलनी ही थी, क्योंकि यह अदालत इसी से जुड़े हुए बाकी मामलों में सजा दे चुकी थी। इसलिए यह तय था कि इस मामले में भी सजा मिलेगी ही। सब जानते हैं कि यह एक ही मामला है, जिसको पांच मानकर सुनवाई हो रही है। इसलिए सजा मिलना तो प्रत्याशित ही था। लेकिन सजा सुनाये जाने के बाद लालू यादव के विरोधी जिस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं जैसे ये सब लोग साधू हैं।
हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाई होने या नहीं होने के पीछे भी राजनीतिक मकसद होता है। 2015 के विधानसभा चुनाव का स्मरण कीजिए। नीतीश कुमार उस चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में अभियान चला रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भाजपा की ओर से उस चुनाव में अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली थी। उस दरमियान उन्होंने नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार और घोटाले के कितने आरोप लगाए थे। जहां तक मुझे स्मरण है, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर की चुनावी सभाओं में उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और घोटाले के 22 आरोप गिनाए थे। उन आरोपों का क्या हुआ ? क्या वे ही आरोप नीतीश जी का पाला बदल कर प्रधानमंत्री जी वाले गठबंधन में चले जाने का कारण तो नहीं बने थे।
विडंबना देखिए, जिन मोदी जी ने नीतीश जी पर भ्रष्टाचार और घोटालों का आरोप लगाया था, वे ही आज उनको सच्चा समाजवादी का प्रमाणपत्र दे रहे हैं! यह भी देखिए। जिन नीतीश कुमार ने कभी कहा था कि जिस आदमी का नाम लेने से करोड़ों अल्पसंख्यकों के मन में भय समा जाता है। उसके साथ मैं हाथ मिलाऊँगा! वही नीतीश जी मोदी जी से सच्चे समाजवादी का प्रमाणपत्र उनकी कृपा मानकर ग्रहण कर रहे हैं।
(यह पोस्ट राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक पर लिखी है।)
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है। सीबीआई कोर्ट रांची के विशेष जज एसके शशि ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सजा सुनायी। लालू प्रसाद पर 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में दोषी पाए गए अन्य 37 लोगों को सजा सुनाई जा रही है। लालू प्रसाद समेत 38 अन्य आरोपियों को 15 फरवरी को दोषी करार दिया गया था। इसके बाद लालू प्रसाद को जेल भेज दिया गया था। बेहतर इलाज के लिए लालू प्रसाद को जेल प्रशासन ने रिम्स भेज दिया था। लालू प्रसाद रिम्स से ही ऑनलाइन कोर्ट से जुड़े थे।