Kurhani Muzaffarpur ByElection in BJP Kedar Gupta and JDU Manoj Kushwaha-Bihar Aaptak

कुढ़नी उपचुनाव में AIMIM और VIP करेगी ‘खेला’, भाजपा-जदयू में किसका पलड़ा भारी?

पटना। बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में अब उम्मीदवारों के नाम तय हो गए हैं। जदयू ने पूर्व विधायक मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा ने काफी सोच-विचार के बाद केदार गुप्ता पर ही अपना दांव खेला है। हालांकि इन दोनों मुख्य पार्टियों के अलावा जिस कैंडिडेट पर सबकी नजर है, वो है ओवैसी और मुकेश सहनी के ‘सिपहसलार’। जी हां, चुनावी मैदान में मुस्लिम वोटों की अच्छी खासी संख्या को देखते हुए एआईएमआईएम ने जहां पूर्व जिला पार्षद गुलाम मुर्तजा अंसारी को टिकट दिया है, वहीं मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने चार बार के विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते नीलाभ को खड़ा किया है।

जदयू के मनोज कुशवाहा और भाजपा के केदार गुप्ता के साथ-साथ एआईएमआईएम से गुलाम मुर्तजा अंसारी और वीआईपी से नीलाभ कुमार के आ जाने से कुढनी सीट का उनचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। बता दें कि पिछले दिनों हुए गोपालगंज उपचुनाव नीतीश-तेजस्वी का गेम बिगाड़ने में कामयाब रहा ओवैसी की पार्टी कहीं मनोज कुशवाहा को भी दर्द न पहुंचा दे। हालांकि सिर्फ एआईएमआईएम खेल नहीं बिगाड़ेगी, वीआईपी उम्मीदवार नीलाभ भी भूमिहार होने के नाते भाजपा के कैडर वोटर्स पर अपना दावा ठोकेंगे, जो कहीं न कहीं भाजपा उम्मीदवार केदार गुप्ता को नुकसान पहुंचाएंगे। और अगर ऐसा होता है भाजपा ने जिस समीकरण को सोचकर केदार गुप्ता को टिकट दिया है, वह गलत न साबित हो जाए।

सहनी उम्मीदवार का मोह छोड़ भूमिहार जाति पर दांव


सन ऑफ मल्लाह यानी मुकेश सहनी
ने कुढ़नी में सहनी उम्मीदवार का मोह छोड़कर भूमिहार जाति पर फोकस कर दिया है। उन्होंने यहां से चार बार के विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते नीलाभ को मैदान में उतार दिया है।इससे महागठबंधन और भाजपा को पूरा समीकरण गड़बड़ा गया है। भाजपा और जदयू ने पिछड़ा वर्ग पर दांव खेला है, जबकि मुकेश ने सवर्ण पर। बता दें कि अभी तक मुकेश सहनी बाकी पार्टियों से सहनी उम्मीदवार देने की मांग कर रहे थे। यहां तक कह रहे थे कि भाजपा भी अगर किसी मल्लाह को टिकट देगी तो वह बीजेपी को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन ऐनवक्त पर उन्होंने भूमिहार जाति के नीलाभ को टिकट दे दिया। सहनी की ताजा अदावत भाजपा से यूपी विधानसभा चुनाव और उसके बाद वीआईपी के तीन विधायकों को तोड़ने और सहनी को मंत्री पद से हटाने पर रही है। वीआईपी वर्जेस बीजेपी की लड़ाई के बाद सहनी के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन तेजस्वी यादव नहीं बल्कि भाजपा हो गई। लेकिन दिलचस्प यह भी कि मुकेश सहनी, राजद के पूर्व विधायक अनिल सहनी को वीआईपी में आमंत्रित कर रहे हैं।

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मुस्लिम और सवर्ण का वोट जीत में निभाएगा अहम भूमिका


राजद विधायक अनिल सहनी के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद कुढनी सीट खाली हुई है। यहां 5 दिसंबर को कुढ़नी में वोटिंग होनी है, वहीं 8 दिसंबर को काउंटिंग होगी। मोकामा और गोपालगंज का रिजल्ट आने के बाद अब सबकी नजर कुढ़नी पर टिकी है। 2020 में भाजपा-जदयू ने साथ चुनाव लड़ा था, जिसमें भाजपा के केदार गुप्ता 712 वोटों ने राजद के अनिल साहनी से हार गए थे। माई के साथ सहनी वोट के भी जुड़ने से जीत मिली थी और इधर रालोसपा द्वारा कुशवाहा वोट काटना भाजपा की हार का प्रमुख कारण बना था। वहीं, 2015 में भाजपा के केदार गुप्ता को शानदार जीत मिली थी। उनकी इस जीत में वैश्य, सवर्ण, सहनी और पासवान का वोट अहम था, वहीं मुस्लिम कैंडिडेट का लगभग सात हजार वोट कुशवाहा की हार का कारण बना था।

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सवर्ण के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता, ओवैसी का चलेगा सिक्का


कुढ़नी में कुशवाहा समाज के मतदाता 25 हजार के करीब हैं। इसके साथ ही 50 हजार मुस्लिम और 30 हजार यादव वोटर्स के जुड़ने से महागठबंधन का पलड़ा मजबूत नजर आता है। इसमें अगर रविदास तंतवा वर्ग के 25-30 हजार वोटर्स के जुड़ जाने के बाद जदयू की जीत आसान हो सकती है। वीआईपी और एआईएमआईएम को मिलने वाले वोट से किसे फायदा होगा, किसे नुकसान यह तो चुनाव बाद रिजल्ट ही तय करेगा। जातीय समीकरण की बात करें तो कुढ़नी में सवर्ण लगभग 60 हजार और मुसलमान 50 हजार हैं। यादव और वैश्य की संख्या 30-30 हजार है, वहीं उसके बाद सहनी 28 हजार, कुशवाहा 25 हजार, पासवान 20 हजार व रविदास की संख्या 20 हजार है।

जीत नहीं होगी सबको पता है, पर खेल जरूर बिगाड़ेगा एआईएमआईएम और वीआईपी


कुढनी सीट पर 1990 तक अगड़ी जाति के लोगों का कब्जा था, पर 1995 से लेकर 2020 तक यहां पिछड़ी जाति के उम्मीदवार को ही जीत मिलती रही है। महागठबंधन के लिए एआईएमआईएम खतरा बन सकता है, तो भाजपा को वीआईपी से नुकसान तय है। जदयू से पूर्व विधायक मनोज कुशवाहा और भाजपा से पूर्व विधायक केदार गुप्ता के बीच टक्कर होगी, पर असल खेल एआईएमआईएम उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा अंसारी और वीआईपी उम्मीदवार नीलाभ कुमार करेंगे। याद रहे गोपालगंज उपचुनाव में राजद उम्मीदवार महज 1700 वोटों से हारे थे, जबकि एआईएमआईएम को वहां 12 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। कुढ़नी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 हजार है, यानी खेल बिगड़ना तय है। वहीं, वीआईपी उम्मीदवार नीलाभ कुमार को ज्यादा वोट मिले न मिले, पर अपनी जमात यानी भूमिहार का कुछ न कुछ सपोर्ट जरूर मिलेगा और अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के केदार गुप्ता के लिए सिरदर्द बनेंगे। भाजपा में अंतर्कलह के कारण भी कुछ वोट जरूर बिखरेंगे, क्योंकि वहां से टिकट के लिए कई जोर-आजमाइश कर रहे थे, पर पार्टी का विश्वास केदार पर ही दिखा। अब जनता किसपर विश्वास करती है, यह 8 दिसंबर को साफ हो जाएगा और दिख जाएगा कि महागठबंधन का जादू चल रहा है या जदयू से अलग होकर भी भाजपा कामयाब हो रही है।

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