शिक्षक, प्रख्यात वैज्ञानिक, मिसाइल मैन, देश के राष्ट्रपति एवं भारत के ‘रत्न’ डा. एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि सपने देखो, क्योंकि सपने देखोगे, तभी वे सच होंगे। इतने क्षेत्र में महारत हासिल करने के बावजूद वो खुद को एक शिक्षक के रूप में याद किया जाना पसंद करते थे। युवाओं से उनकी विशेष अपेक्षाएं थीं कि वे कुछ अलग सोचें, नया करने, खोजने व आविष्कार करने का साहस रखें, अनजान राहों को परखें, यात्राएं करें, समस्याओं का समाधान निकालें। आज उनकी जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। आइए जानते हैं एक छोटे से गांव का यह लड़का कैसे भारत का मार्गदर्शक बन गया।
वंशिका बिष्ट, नई दिल्ली।
अखबार बेचने से लेकर, मिसाइल मैन और राष्ट्रपति बनने तक का सफर कोई ऐसे ही पूरा नहीं करता है। या यूँ कहें कि हर कोई ऐसा कर भी नहीं सकता, जिसने किया वही ‘कलाम’ कहलाया। ऊँचे सपने देखने वाले, उन्हें पूरा करने की चाह रखने वाले, और उन्हें हासिल करके दुनिया को दिखा जाने वाले अप्रतिम व्यक्ति थे, हमारे भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति, अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम। उन्होंने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया। वे कहते थे, “इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है जो किसी व्यक्ति के चरित्र, क्षमता, और भविष्य को आकार देता है। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा। वे कहते हैं कि विज्ञान जन्म लेता है, और जीता है केवल प्रश्नों द्वारा, विज्ञान की पूरी आधार शिला प्रश्न करना है, और जैसे कि माता-पिता और अध्यापक गण अच्छी तरह जानते हैं, बच्चे कभी भी न समाप्त होने वाले प्रश्नों के स्रोत हैं, इसलिए बच्चा सबसे पहला वैज्ञानिक है। बच्चों से बेहद प्यार करने वाले डॉ. कलाम हमेशा विज्ञान का जीवन में महत्व बताते थे और हमेशा उनकी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश करते थे। यहाँ तक कि अपनी मृत्यु से ठीक पहले भी वो यही काम कर रहे थे- वे IIM Shillong में स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे।
‘भारत का मिसाइलमैन’ कहे जाने वाले कलाम को छात्रों को दिए गए उनके ज्ञानवर्धक भाषणों के लिए भी जाना जाता है। साल 2010 से संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) डॉ. कलाम के प्रयासों को सम्मानित करने के लिए 15 अक्तूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में मना रहा है। पिछले साल इस दिवस की थीम ‘लर्निंग फॉर पीपल, प्लैनेट, प्रॉस्परिटी एंड पीस’ थी।
कलाम का बचपन आर्थिक अभावों में बीता बावजूद इसके उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। अपने गुरु से उन्होंने सीखा था कि यदि आप किसी भी चीज को पाना चाहते है तो अपनी तीव्र इच्छा रखनी होगी। उन्होंने 48 विश्वविद्यालय की सर्वोच्च उपाधि कढ़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से हासिल की और अपने ज्ञान की ज्योति से हमें सदैव प्रकाशित करते हुए निस्वार्थ भाव से देश का मार्गदर्शन करते गए । अब्दुल कलाम को पीपुल्स प्रेसीडेंट कहते है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। अब्दुल कलाम को ‘मिसाईल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। एपीजे अब्दुल कलाम एक सफल वैज्ञानिक थे। उन्होंने कई वर्षों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और इसरो को सेवाएं दीं। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया था।
डॉ. कलाम को तमिल में कविताएँ लिखने और वीणा बजाने का शौक था । डॉ. कलाम बतौर राष्ट्रपति को मिलने वाली सैलरी-Providing Urban Amenities to Rural Areas(PURA), ट्रस्ट में डोनेट कर देते थे। डॉ. कलाम की इन्स्पिरिंग आत्मकथा, “Wings of Fire” , फ्रेंच और चायनीज सहित 13 भाषाओं में ट्रांसलेट की जा चुकी है। इसी पुस्तक से प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ‘अग्नि’, ‘पृथ्वी’, ‘आकाश’, ‘त्रिशूल’ और ‘नाग’ मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई। यह टेक्नॉलजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है। उनके जीवन से प्रेरित हो कर “ I AM Kalam” नामक बॉलीवुड मूवी भी बनायी गयी।
डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2005 में स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। जिसके बाद देश ने उनकी यात्रा को सम्मान देने के लिए 26 मई को ‘विज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित किया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, वीर सावरकर पुरस्कार, रामानुजन पुरस्कार आदि सहित कई पुरस्कार मिले थे।
कलाम के 10 अनमोल विचार
- सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।
- चलिए अपना आज कुर्बान करें ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को बेहतर कल मिल सके।
- छात्रों को प्रश्न जरूर पूछना चाहिए. यह छात्र का सर्वोत्तम गुण है।
- देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है।
- इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं.
- जीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखों को कठिनाइयों से प्राप्त किया जाता है।
- शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वह माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या कोई दूसरा लक्ष्य।
- सबके जीवन में दुख आते हैं, बस इन दुखों में सबके धैर्य की परीक्षा ली जाती है।
- सपने तभी सच होते हैं, जब हम सपने देखना शुरू करते हैं।
- मुश्किलों के बाद हासिल की हुई सफलता ही असली आनंद देती है।
हम रहें या न रहें, याद आएंगे ये पल !
आदि से अंत तक
शून्य से ब्रह्म तक
आस की डोर में
सांझ में, भोर में
चंदा की छाँव में ,
कर गया कुछ ऐसा
था एक अजूबा ऐसा भी ।
आपकी गरिमा का क्या बखान करें,
आपके गौरव का कैसा गुणगान करें।
ऐ आदर्श दंतकथा आपको ह्रदय से वंदन ,
इस पुलकित-पावन अवसर पर।
पुनः पुनः सहस्न नमन॥