Sanyukta Banarjee-Single Mother-Bihar Aaptak

सिंगल मदर बनीं भोपाल की संयुक्ता बनर्जी ने कहा-प्यार को मां से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता

पटना। बिना शादी के एक बच्चे को जन्म देना कितना मुश्किल है, यह हम आप सब जानते हैं। पर, कहते हैं जिसे जो करना होता है वो कर ही लेता है। न समाज की बंदिशों को मानता है और न ही दकियानुसी बातों को। 37 साल की एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने बिना शादी के एक बच्चे को जन्म दिया। इन्हें बच्चों से इतना प्यार है कि पति से तलाक के बाद स्पर्म डोनेशन के जरिये वह मां बनीं। जी हां, हम बात कर रहे हैं सिंगल मदर (Single Mother) बनीं भोपाल की संयुक्ता बनर्जी (Sanyukta Banerjee) की। आज हर कोई संयुक्ता के बारे में जानना चाह रहा है कि आखिर कैसे उन्होंने इतनी हिम्मत की और ये सब कर पाईं।

अपने देश में महिलाओं को पुरुष के समान अधिकार दिए जा रहे हैं। हर जगह महिला भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है, पर कहीं न कहीं एक कसक जरूर है कि महिलाओं को इतना सम्मान, इतना अधिकार क्यों और शायद इसलिए चाहकर लोग महिलाओं को उतना सम्मान नहीं दे पा रहे। अपनी पसंद के लड़के से शादी करना, अपनी पसंद का करियर चुनना, दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाना, शादी ना करने का फैसला लेना और सिंगल मदर बनने का फैसला लेना कभी से भी हमारे समाज में मान्य नहीं है। पर, एक महिला ने सिंगल मदर बनने का न सिर्फ फैसला लिया, बल्कि इसे कर भी दिखाया।

भोपाल की संयुक्ता बनर्जी (Sanyukta Banerjee) की शादी 2008 में हुई थी और 2014 में अपने पति से अलग होने के बाद से ही वो अडॉप्शन की कोशिश कर रही थीं। अब जाकर उन्होंने आईसीआई तकनीक का इस्तेमाल कर सिंगल मदरहुड को अपनाया है। पिछले महीने 24 अगस्त को उन्होंने एक खूबसूरत बच्चे को जन्म दिया है।

Single Mother Sanyukta Banerjee (Pic-Facebook)

अपने फैसले को सही साबित करते हुए संयुक्ता बनर्जी ने सिंगल मदर बनने के बाद खुश होकर अपने फेसबुक पर पोस्ट किया है। हम उसे हूबहू आपको पढा रहे हैं…

अपने अंदर एक और दिल को धड़कते देखने से ज्यादा खुशी दुनिया की और कोई चीज नहीं दिला सकती!

शेक्सपीयर के कहे उस बात को कि प्यार अंधा होता है-एक मां से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता, जो बिना देखे, बिना जाने- अपने अंदर पल रही जान को पूरे दिल से चाहती है, इस दुनिया में सबसे ज्यादा चाहती है, खुद से भी ज्यादा। और अपनी कोख में 8-9 महीने पालने के बाद उस नन्ही जान को जन्म लेते और उसे अपनी बाहों में भरने से ज्यादा भावुक कुछ और नहीं हो सकता।

मैंने इस पल के लिए बहुत लंबा इंतजार किया। 7-8 साल से अडॉप्शन के लिए कोशिश कर रही थी। किन्हीं वजहों से उसमें सफलता नहीं मिली, ऐसे उम्मीद अब भी है कि एक बेटी अडॉप्ट कर पाऊं भविष्य में। लेकिन जब दिसम्बर 2020 में CARA से रेजिस्ट्रेशन रिन्यू करने के लिए फोन आया तो मैं सोच में पड़ गई। लगा कि और 3 साल इंतजार के बाद भी अगर कुछ हासिल न हुआ तो क्या करूंगी, क्या मां बनने का सपना सपना ही रह जाएगा। फिर थोड़ा एक्सप्लोर करना शुरू किया।

पता चला कि सिंगल मॉम भी बना जा सकता है। अगर कोई पार्टनर नहीं है तो किसी फर्टिलिटी प्रोसेस की मदद ली जा सकती है। बहुत R&D करने के बाद तय किया कि डोनर के जरिए आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन के जरिए कोशिश करूंगी जिसे ICI यानि Intra Cervical Insemination कहते हैं। ये फैसला आसान नहीं था, लेकिन अडॉप्शन करती तो भी सिंगल मॉम ही बनती औऱ बच्चे को पिता का नाम नहीं मिलता तो इसलिए मेरे लिए ये बहुत मुश्किल फैसला भी नहीं था। जब आपके पास फैमिली और फ्रेंड्स का अच्छा सपोर्ट सिस्टम हो तो ऐसे फैसले लेने में और आसानी होती है। ऐसे 8 महीनों का ये सफर बेहद कठिन रहा, पर उसपर कभी और बात, आज की ये पोस्ट सिर्फ ये बताने के लिए कि सिंगल मॉम बनना मुमकिन है। अगर इस तरह की कोई पोस्ट मैंने पहले पढ़ी होती तो शायद इतना वक्त न लगाती ये फैसला लेने में।

Sanyukta Banerjee (Pic-Facebook)

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