ज्ञानभद्र, नई दिल्ली।
जैसा कि सर्वविदित है कि कोरोनावायरस फेफड़ों को संक्रमित करता है, लेकिन पाचनतंत्र प्रणाली भी कोरोनावायरस के संक्रमण से प्रभावित होती है। यह कहना है डॉ अज़हर परवेज़ का जोकि गुड़गांव-स्थित मेदांता-मेडिसिटी अस्पताल में जी. आई. सर्जरी, जी. आई. आन्कोलॉजी ऐंड बरिएट्रिक सर्जरी, इन्स्टीट्यूट ऑफ़ डाइजेस्टिव ऐंड हेपटो-बिलियरी साइंसेज़ विभाग में एसोसिएट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
डॉ अज़हर परवेज़ आगे बताते हैं कि कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से मिचली आना, उल्टी होना तथा डायरिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं। साथ ही लीवर एन्जाइम के अव्यवस्थित होने से लीवर प्रभावित होता है। लेकिन कोरोनावायरस की वजह से लीवर के पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने की शिकायतें नहीं आई हैं, डॉ परवेज़ कहते हैं।
डॉ परवेज़ कुछ वैज्ञानिक विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि कोरोनावायरस द्वारा संक्रमित व्यक्ति में पाचनतंत्र प्रणाली के लक्षण तथा श्वसनतंत्र प्रणाली के लक्षणों का रहना कोविड-19 रोग की उग्रता का संकेत नहीं है। कोरोनावायरस द्वारा संक्रमित रोगी में वायरस मल के रास्ते निकलता है। “फ़ीको-ओरल (feco oral)” माध्यम से अन्य व्यक्तियों को संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।
“फ़ीको-ओरल” माध्यम से तात्पर्य यह है कि पैथोजन (वायरस रोगाणु) जोकि वायरस-संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रहते हैं, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के मुंह में प्रवेश कर जाते हैं।
डॉ परवेज़ कहते हैं कि ऐसी रिपोर्ट आई है कि उदर गुहा (ऐब्डोमिनल केविटी) में एकत्रित द्रव्य से कोरोनावायरस के अलग होने से स्वास्थ्यकर्मियों को पेट की सर्जरी या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करने के दौरान जोखिमों से गुज़रना पड़ा। अंततोगत्वा, डॉ परवेज़ कहते हैं कि कोरोनावायरस से लड़ाई हमारी अपनी खुद की लड़ाई है। हम अपनी मदद कर अपने परिवार, अपने समाज, समुदाय और देश की मदद कर सकते हैं।
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