- जाने माने विशेषज्ञों ने की मांग, निजी व सरकारी क्षेत्र मजबूत सहयोग तेज करे
- भारत के डाक्टर मान चुके हैं महामारी का प्रवेश स्टेज 3 में है
- कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख ने आगाह किया नाजुक हैं अगले 5-10 दिन
ज्ञान भद्र, नई दिल्ली।
दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से मतृकों की तादाद 28 हजार पार कर गई है, वहीं कुल संक्रमित लोगों की संख्या भी 6 लाख के चिंताजनक आंकड़े को पार कर गई। दो माह से अमेरिका ने चीन को इस बात के लिए निशाने पर ले रखा है कि उसने इस भयावह संक्रमण की महामारी को शुरूआती सूचनाएं छिपाईं, जिस वजह से अमेरिका व बाकी मुल्कों को संभलने में देर लगी। अमेरिका व चीन के बीच बढी तकरार के बीच भारत के लिए चिंता कई गुना बढी है। भारत में मृतकों की संख्या 20 को पार कर कर गई है। शनिवार तक तक भारत में संक्रमित लोगों की तादाद 1000 के करीब पहुंच चुकी हैं। एक ही दिन में यह तादाद उछाल मार रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि विश्व इतिहास की इतनी बड़ी महामारी का सामना करने के लिए लिए प्रभावित देशों के अलावा संयुक्त राष्ट् संघ की ओर से इस संकट से एकजुटता के साथ कंधे से कंधा मिलकर लड़ने का भावना का एकदम अभाव झलक रहा है।
भारत के इतर दुनिया के जाने माने इतिहासकार युवा नोवा हरारी ने लंदन के फाइंनेसियल टाईम्स में एक लेख के जरिए आगाह कर दिया है कि मौजूदा दौर में राष्ट्वाद व अलगाव के बीच इस महामारी का विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले वाले संकट का आपसी सहयोग की कमी खल रही है। वह कहते हैं, इस बीमारी के संक्रमण से निपटने के लिए एक दूसरे के अनुभव जरूर काम आ सकते हैं। इस सहयोग की बुनियाद से तात्कालिक तौर पर चिकित्सा उपकरणों के आदान प्रदान के साथ मेडिकल टीमों को आपात हालात में एक दूसरे के देशों में भेजने की व्यवस्था हो सकती है। सूचनाओं को आपस में बांटने को वे इसलिए जरूरी है कि अगर दुनिया के किसी कोने के मुल्क में इस वाइरस से निपटने के लिए कोई उपचार की खोज हो जाए है तो दुनिया के दूसरे कोने में उसका लाभ मिल सकता है।
सार्क देशों के बीच इस महामारी से निपटने को आवश्यक सहयोग को लेकर डाक्टरों व राजनयिक क्षेत्रों में सकारात्मक पहल के तौर पर देखा जा रहा है ऐसे ही बाकी पड़ोसी मुल्कों, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव नेपाल व भूटान के साथ इस बहाने डाक्टरों की टीम, दवाओं व उपकरणों की कमी होने पर एक दूसरे के साथ सहयोग को दीर्घकालिक बना सकते हैं।
मेदांता मेडिसिटी गुड़गांव के चेयरमेन व मेनेजिंग डायरेक्टर डा नरेश त्रेहन कहते हैं कि सरकारी व निजी क्षेत्र दोनों मिलकर इस आपदा से पैदा चुनौती का सामना कर सकते हैं। उनका मानना है कि दुनिया के देश हों या भारत का सरकारी व निजी मेडिकल क्षेत्र, सभी एक दूसरे के अनुभवों को साझा करके ही इस चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं। भारत में दिनों दिन कोराना रोगियों की तादाद में हो रही बढोतरी से चिंतित डा त्रेहन मानतेे हैं कि हम भले ही कहें अभी भारत इस महामारी के दूसरे चरण में है लेकिन वास्तव में हम तीसरी स्टेज में लगभग पहुंच चुके हैं।
एक बातचीत में डाक्टर त्रेहन ने बताया कि इस लड़ाई को विश्वव्यापी लड़ाई की माफिक लड़ने की आवश्यकता है। सबसे पहले उन मरीजों पर ध्यान फोकस करने की जरूरत है जो, डाइविटीज और हृदय की तखलीफें झेल रहे हैं अथवा कैंसर की बीमारी की गिरफ्त में। इनमें वे लोग भी खास तौर पर परहेज में रहें जो हाई बीपी, हाईपरटंशन या मानसिक तखलीफों के शिकार हैं। उनकी सलाह है कि माहौल ऐसा है कि ऐसे मरीजों को वक्त पर दवा के साथ उनका मानसिक मनोबल भी परिजन बढाएं। उन्हें बोझ न समझें बल्कि भरपूर प्यार- सम्मान दें।
मेदांता मेडिसिटी की ही डा सुशीला कटारिया की देश व दुनिया में इस बात के लिए खूब तारीफ हो रही है कि उन्होने कोरोना के शिकार पर्यटकों को अपनी सघन निगरानी में एकदम दुरुस्त कर दिया। 42 वर्षीय युवा डाक्टर कटारिया कहती हैं, इटालियन पर्यटकों के साथ भाषा की समस्या जरूर रही। दूसरी उन्हें ठीक करने में उनकी उम्र आड़े आ रही थी क्योंकि टूर गाईड को छोड़कर ये सभी यात्री 68 वर्ष की आयु से ज्यादा के थे। डाक्टर कटारिया उपचार के अलावा उनमें जिंदा रहने की उम्मीदें जगाती रहीं। वे कहती हैं कई बार तो मुझे भी लगा कि मैं उन्हें झूठी दिलासा देकर कुछ गलत कर रही हूँ । वजह यह सभी मरीज कोरोना संक्रमण का नाम सुनकर बहुत डरे हुए थे। लेकिन भगवान का शुक्र है कि वे सब अब बहुत ,खुश हैं।
कोविड-19 टास्कफोर्स के प्रमुख डाक्टर गिरधर ज्ञानी ने 24 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में शिरकत की है, ने आगाह किया है कि स्थिति बहुत भयावह है। आज जिस दौर में भारत प्रवेश कर चुका है, वह दौर आज चुका जब पूरे समाज में कोरोमा संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा। यह सूरत ऐसी है कि पता भी नहीं चलेगा कि इस संक्रमण का स्रोत कहां था। डा ज्ञानी का मानना है कि आने वाले 5 से 10 दिन बहुत ही नाजुक हैं। वजह यह कि जिन लोगों को यह संक्रमण अभी लक्षण नहीं दिखा रहा है, वह आने वाले चंद रोज में सामने आएगा तभी हम यह आकलन करने के हालात में होंगे कि हम वाकई कितने गहरे पानी में हैं।
दून अस्पताल देहरादून के पूर्व वरिष्ठ सर्जन व चर्चित पुस्तक स्प्रुच्वल हैल्थ के लेखक डा महेश भट्ट कहते हैं। सामुदायिक व स्वास्थ्य की पहली सीढी यहीं से आरंभ होती है कि हरेक इंसान अपने भीतर यानी अंर्तमन में अपने और समाज प्रति सकारात्मक सोच को निष्ठा से अपनाए। तभी समाज को निरोग और स्वस्थ्य बनाया जा सकता है।
कोरोना से निपटने को विश्वव्यापी जागरुकता के सार्थक परिणामों पर संतुष्ट विशेषज्ञों की यह भी सलाह है कि जो आरंभिक लक्षण इस महामारी के बारे में बताए जा रहे हैं उन्हें छिपाने के बजाय जितना जल्द हो ऐसे रोगी तुरंतु डाक्टर को दिखाएं। पहला कदम हो कि संक्रमित लोग अपने परिवार से अलग- थलग हो जाएं। दुनिया में घातक वाइरस से बचाव की एक ही उपचार है कि यदि आप स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे। खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत है तो तत्काल डाक्टर से परामर्श लें।
(लेखक ज्ञान भद्र स्वास्थ्य मामलों के अच्छे जानकार माने जाते हैं और हेल्थ काॅलमनिस्ट के रूप में इनके आर्टिकल विभिन्न अखबारों व पत्रिकाओं में छपते रहे हैं.)