सुशांत सिंह राजपूत की मौत को आज दो महीने हो गए। इन 60 दिनों में अमूमन जांच प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए थी, या फिर पूरी होने पर होती। पर, हमलोग ‘तारीख पर तारीख’ वाले देश में रहते हैं। दो महीने बाद भी इस रहस्यमयी मौत से पर्दा हटने की बात तो दूर, अबतक ये ही नहीं साफ हो पाया है कि मामले की जांच करेगा कौन? मुंबई पुलिस ने पहले दिन से ही जो जांच की है, वह सबके सामने है। उसकी जांच का ही ‘असर’ है कि ‘मजबूरन’ मीडिया रिया की कॉल डिटेल्स निकालकर संदिग्धों से पूछताछ कर रही है। सुशांत के नौकर, बॉडीगार्ड, दोस्त सबसे ऐसे ‘सच’ उगलवा रही है, जो काम पुलिस को करना चाहिए था।
और इधर, दो महीने तक चुप्पी साधने वाले कलाकार हों या पत्रकार, अब जब उन्हें भी कहीं न कहीं लग रहा है कि यह मामला सिर्फ आत्महत्या का नहीं है, तो अब बोलना शुरू किए हैं। यकीन मानिए, सुशांत को न्याय मिलेगा और जरूर मिलेगा, क्योंकि अब भी लोगों को हिंदुस्तान की न्याय व्यवस्था पर भरोसा तो है ही। पर, सबसे बड़ी सुशांत मामले में कई बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, कलाकारों से लेकर नेता व अफसरों तक के असली चेहरे सामने आ गए हैं, जिसे छिपाकर ये लोग ‘मास्क’ लगाए रहते हैं। अफसोस, यह नहीं पता कि मास्क कोरोना से जरूर बचा लेगा, पर आपके “दोमुहे चेहरे” को नहीं छुपा पाएगा।
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(यह लेख पत्रकार संजीत मिश्रा ने लिखा है। इसे हमने उनके फेसबुक वाल से लिया है।)