पटना। बिल्डर्स द्वारा अक्सर ही धोखाधड़ी और लेट-लतीफी के मामले सामने आते रहते हैं। हालांकि रेरा की सख्ती के बाद अब गलती करने वाले बिल्डर्स पर गाज भी गिरती रहती है। इसी क्रम में झारखंड में एक नियम बना है, जिसके तहत बिल्डर्स अगर खरीदारों से किए गए करार के मुताबिक समय पर फ्लैट या आवास नहीं देते हैं, तो उन्हें हर महीने एक निश्चित आवास किराया चुकाना होगा। इस खबर के बाद फ्लैट लेने वाले लोगों को एक राहत मिल सकती है।
खबर के अनुसार प्रोजेक्ट में देर करने पर बिल्डर पर जुर्माने और हर्जाने का नियम पहले से लागू है। झारखंड रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने अब खरीदारों को धोखाधड़ी और प्रोजेक्ट में देरी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए आवास किराया का नया नियम लागू कर दिया है। बता दें कि झारखंड रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (झारेरा) द्वारा बनाये गये नये नियम में कहा गया है कि प्रोजेक्ट में देर होती है तो इसकी सूचना भी बिल्डर को देनी होगी।
झारेरा से मिली जानकारी के अनुसार छह महीने से अधिक देर होने की स्थिति में उन्हें हर्जाना भरना होगा। हर्जाने की राशि अथॉरिटी तय करेगी। झारखंड में रेरा के तहत अब तक 757 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हो चुके हैं। कई बिल्डर ने रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया है और धड़ल्ले से प्रोजेक्ट चला रहे हैं। ऐसे बिल्डरों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे दो दर्जन से भी ज्यादा प्रोजेक्ट को रद्द करने की तैयारी चल रही है।
झारेरा की चेयरमैन सीमा सिन्हा के अनुसार फ्लैट और आवास खरीदारों की ओर से ऐसी शिकायतें बड़ी संख्या में मिल रही हैं, जिनमें बिल्डर तय किया गया वादा पूरा नहीं कर रहे हैं। हमने ऐसे मामलों में संज्ञान लिया है। नये नियम के मुताबिक प्रोजेक्ट में देर करने पर खरीदारों को राहत दिलाने की पहल की गयी है। कई मामलों में हमने बिल्डर से खरीदारों को पैसे भी वापस दिलाए है। जो पैसे देने में दो महीने से ज्यादा देर कर रहे हैं उन्हें पूरा पेमेंट करने तक 9 प्रतिशत इंटरेस्ट भी चुकाने का आदेश दिया गया है।