बाज़ार को गुलज़ार होने दीजिए, आप ‘बर्बाद’ होने से बचिए। फैसले यूं ही आते-जाते रहेंगे, सरकारें बनती-बिगड़ती रहेंगी, पर हमारी-आपकी ज़िंदगी दुबारा नहीं मिलेगी, इसलिए अब भी वही ‘घिसी पिटी’ बात ‘घर से मत निकलिए’। सरकार को बहुत कुछ ‘बहुत कुछ’ सोचकर करना पड़ता है, यूं कहें बहुत कुछ के लिए करना पड़ता है। पर, आप बस यही सोचें कि अभी सबसे जरूरी है अपनी ज़िन्दगी बचाना, न कि गुलज़ार गलियों में ‘बेवजह तफरी’ लगाना। कोरोना का कहर कम नहीं हुआ है, रोज बढ़ता ही जा रहा है, मौत का आंकड़ा भी ऊपर जा रहा है।
भारत में अब तक 775 लोगों की जान जा चुकी है, तो दुनिया भर में 1 लाख 97 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। दुनिया का ‘सुपर पॉवर’ कहे जाने वाला अमेरिका में भी 52 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
मतलब साफ है अभी खतरा कम नहीं हुआ, तेजी से बढ़ रहा है। जब कर्फ्यू लगाना चाहिए, तब दुकानें गुलज़ार की जा रही हैं, कारण कोई भी हो, कैसा भी हो? पर हम आप फैसले को दोष देने के बदले खुद की और अपनों के बारे में सोचें। बेवजह घर से ना निकलें। कुछ दिन अच्छा अच्छा खाना त्याग दें, मौज मस्ती भूल जाएं, ज़िन्दगी रही तो हजार मस्ती करेंगे…
#Lockdown #StayHomeStaySafe #Corona
(यह पोस्ट पत्रकार संजीत मिश्रा ने लिखा है। इसे हमने उनके फेसबुक वाल से लिया है।)