कुदरत के ‘करंट’ से बरप रहा कहर, ठनका से हर रोज जा रही दर्जनों जान

लक्ष्मी वत्स, पटना।
चार राज्य (बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और प. बंगाल) के जिलों में 10 दिनों की भरी बारिश को बिजली गिरने से 135लोगों की जान चली गई। बिहार के 24 जिलों में सबसे ज्यादा 100, उत्तर प्रदेश में 24, झारखंड में 8 और प. बंगाल में 3 लोगों की जान गई है। मौसम विभाग ने अगले 3 दिन तक हाई अलर्ट जारी किया है जिससे लोग अपने घरों में रहें और दुर्घटना से बचें।
किन जिलों में कितनी मौतें ?
बिहार के गोपालगंज में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा 14 लोगों,मधुबनी और नवादा में 8-8, सीवान, भागलपुर में 6-6 ,दरभंगा, पूर्वी चंपारण और बांका में 5-5 लोगों, खगड़िया और औरंगाबाद में 3-3 और पश्चिमी चंपारण, किशनगंज, जहानाबाद, जमुई, पूर्णिया, सुपौल, कैमूर व बक्सर में 2-2 लोग, समस्तीपुर, शिवहर, सारण, सीतामढ़ी और मधेपुरा में 1-1 व्यक्ति की जान गई है।वहीं उत्तर प्रदेश के देवरिया में 9, प्रयागराज में 6, अंबेडकरनगर में 3, बाराबंकी में 3, कुशीनगर, फतेहपुर, उन्नाव, बलरामपुर में 1-1 लोगों की जान गई।
झारखंड के पलामू और गढ़वा जिले में बिजली की चपेट में आने से महिला समेत 8 लोगों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने मारने वालो के लिए शोक जताया है। उन्होंने अपने राज्य के मृतकों के परिजनों को 4-4लाख रुपए आर्थिक मुआवजा देने का ऐलान किया है और साथ ही लोगों से यह भी अपील की है कि खराब मौसम में सतर्कता बरतें ताकि ऐसी दुर्घटना भविष्य में ना हो। बारिश के समय घर पर ही रहे या कोई सुरक्षित जगह पर। पिछले साल अगस्त में सरकार ने लोगो को बिजली से बचाने के लिए अर्थ नेटवर्क कंपनी से 4 साल का करार किया था। इस कंपनी ने “इन्द्रवज्रा” ऐप बनाया है।यह एप एंड्रायड मोबाइल उपभोक्ताओं को बिजली गिरने से 30-45 मिनट पहले अलार्म टोन से अलर्ट कर देता है। इसमें जीपीएस ऑन रहना जरूरी है।
बिजली कैसे और कहा है ज्यादा गिरता है
हम आपको बता दे कि जब आसमान में विपरीत ऊर्जा के बादल हवा विपरीत दिशा में जाते हुए टकराते है तो इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है जो कि धरती पर गिरती है। आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली पृथ्वी पर कंडक्टर की तलाश में पहुंच जाती है, जिससे नुकसान पहुंचता है। अगर ये बिजली किसी के शरीर पर गिर जाए तो डिप बर्न होने से टिशू को आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके कारण हार्ट अटैक और शारीरिक डैमेज का खतरा बढ़ जाता है।यदि यह किसी व्यक्ति पर गिरती है तो सबसे ज्यादा असर उसके सिर, कंधे और गले पर होता है। बिजली गिरने की सबसे अधिक संभावना दोपहर के वक्त होती है। यह सबसे ज्यादातर खुले मैदान, पीपल, पाकर, बरगद,तरकुल जैसे बड़े पेड़ और बिजली पैदा करने वाली चीजें जैसे रेडिएटर, फोन, धातु के पाइप, स्टोव इत्यादि पर गिरती है।

Lightning
बिजली गिरने से कैसे बचा जाए?

-जब घर बनवा रहे हो तो बिजली मैकेनिक से कहकर घर में एक ऐसा एंटीना लगवाइए ,जो बिजली के दौरान अर्रि्थग का काम करता है।
-आंधी आते ही टीवी, रेडियो, कंप्यूटर और मोबाइल जैसे उपकरणों को बंद कर देना चाहिए।
– इस दौरान नंगे पैर फर्श या जमीन पर कभी खड़े ना रहें। नहीं तो बिजली आपसे से होकर गुजर सकती है और आपकी जान भी जा सकती है।
– पेड़ के नीचे या खुले मैदान में जाने से बचें।
– खुले मैदान में होने पर किसी मकान में छिपने की कोशिश करें।
-बिजली का असर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों पर होता है। इसलिए इस समय पुरुषों को घर में रहना चाहिए।
बिजली गिरने की इतिहास की सबसे बड़ी घटना
– साल 1807 में 26जून को यूरोप के देश “लग्जम्बर्ग”में गन पाउडर बनाने वाली फैक्ट्री में बिजली गिरने से 300 से अधिक लोगों की जान गई थी। जो कि इतिहास की सबसे बड़ी बिजली गिरने की घटना मानी जाती है।
-पृथ्वी पर हर दिन करीब 80 से 90 लाख बार बिजली गिरती है, जिससे इसका तापमान तुरंत 27 हजार 760 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। एक सामान्य बिजली में 10 करोड़ वोल्ट की बिजली पैदा होती है और इसकी लंबाई में मापा जाए तो 8 किलोमीटर तक होती है।
-31 अक्टूबर,2018 को ब्राजील में हर वर्ष बिजली गिरने की 7.78 करोड़ घटनाएं सामने आती हैं, जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा हैं| वही 4 मार्च, 2019 को अर्जेंटीना के उत्तरी भाग में बिजली की चमक लगातार 16.73 सेकंड तक देखी गई थी| इन बिजली कि घटनाओं को जिन्होंने रिकॉर्ड बुक में अपनी जगह बनाई है वैज्ञानिक रूप से उन्हें ‘मेगाफ्लैश’ के नाम से जाना जाता है और वही डब्लूएमओ के रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख लेखक माइकल जे पीटरसन ने बताया कि, “सैकड़ों किलोमीटर लम्बी इन आकाशीय बिजली को हॉरिजॉन्टल मेसोस्केल लाइटनिंग डिस्चार्जेस के रूप में डिफाइन किया गया है|

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