अब इंग्लैंड के लोग भी चखेंगे जरदालू आम, बिहार से पहली खेप हुई निर्यात

कृषि के क्षेत्र में देश नित्य नए कीर्तिमान बना रहा है। अनाज से लेकर फल सब्जी का देश के दूरदराज हिस्सों में भेजने के साथ ही दूसरे देशों में भी निर्यात लगातार बढ़ रहा है। पिछली ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने बिहार की लीची और असम के कहटल की खूबियों का जिक्र किया था, और बताया था कि कैसे किसान इनका उत्पादन और बिक्री कर एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। किसानी जीवन के इन्हीं बदलते अध्यायों में एक नया पाठ जुड़ा है। देश के पूर्वी क्षेत्र में कृषि-निर्यात संभावनाओं को मजबूती देने के लिए अब आम का निर्यात भी होने लगा है।

बिहार के भागलपुर से जिओग्राफिककल इंडिकेशन (जीआई) प्रमाणित जरदालू आमों की पहली वाणिज्यिक खेप को आज यूनाइटेड किंगडम के लिए निर्यात किया गया। बिहार सरकार, भारतीय उच्चायोग और इन्वेस्ट इंडिया के साथ भागीदारी में एपिडा ने रसदार और सुगंधित आमों का निर्यात किया। इन आमों को लखनऊ में एपिडा के पैकहाउस में पैक किया गया था। अनूठी सुगंध और स्वाद के साथ, बिहार के भागलपुर जिले के जरदालू आमों को 2018 में जीआई प्रमाणन हासिल हुआ था।

एपिडा पिछले कुछ समय से गैर पारम्परिक क्षेत्रों से आम के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए कदम उठा रहा है। हाल में, बहरीन में भारतीय आमों के प्रचार के लिए एक सप्ताह लंबे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तीन जीआई प्रमाणित खीरसपाती और लक्ष्मणभोग (पश्चिम बंगाल) और जलदालू (बिहार) सहित फल की 16 किस्मों का प्रदर्शन किया गया। आयातक अल जजीरा समूह के सुपर स्टोरों मे यह आयोजन किया गया।
एपिडा इससे पहले आम के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए वर्चुअल खरीददार-विक्रेता बैठक और महोत्सव का आयोजन करता रहा है। एपिडा ने हाल में भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर बर्लिन, जर्मनी के साथ ही जापान में आम महोत्सव का आयोजन किया था।

एपिडा ने भारतीय दूतावास, सियोल और कोरिया में इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के साथ भागीदारी में मई, 2021 में एक वर्चुअल खरीददार विक्रेता बैठक का आयोजन किया था। वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी के कारण, भौतिक रूप से निर्यात संवर्धन कार्यक्रमों का आयोजन संभव नहीं है, इसीलिए सारे कार्यक्रम वर्चुअल किए गए हैं। एपिडा ने भारत और दक्षिण कोरिया के निर्यातकों व आयातकों को एक मंच उपलब्ध कराने के लिए एक वर्चुअल बैठक का आयोजन किया था। भारत ने आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिलों के किसानों से खरीदी गई जीआई प्रमाणित बंगनापल्ली और आमों की एक अन्य किस्म सुरवर्नरेखा की खेप का भी निर्यात किया है।

दक्षिण कोरिया को निर्यात किए गए आमों को तिरुपति, आंध्र प्रदेश स्थित एपिडा द्वारा पंजीकृत भाप आधारित ट्रीटमेंट फैसिलिटी उपलब्ध करवाई। पैकहाउस से जरूरी साफ-सफाई करने के बाद आमों की आपूर्ति की गई। वहीं इफ्को किसान सेज (आईकेएसईजेड) द्वारा इसका निर्यात किया गया। यह आईकेएसईजेड द्वारा निर्यात की गई पहली कन्साइनमेंट है। आईकेएसईजेड 36,000 समितियों की सदस्यता वाली कई राज्यों में सक्रिय सहकारी संस्था है। यह इफ्को की सहायक संस्था है।

भारत में आम को ‘फलों का राजा’ माना जाता है और प्राचीन शास्त्रों में इसे कल्पवृक्ष (इच्छित फल देने वाला पेड़) कहा गया है। भले ही भारत के ज्यादातर राज्यों में आम के बागान होते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में इस फल की पैदावार में बड़ी हिस्सेदारी है।आमों का प्रसंस्करण एपिडा पंजीकृत पैकहाउस केंद्रों में किया जाता है और फिर उन्हें मध्य-पूर्व, यूरोपीय संघ, यूएसए, जापान और दक्षिण कोरिया सहित विभिन्न क्षेत्रों व देशों को निर्यात किया जाता है।

बागवानी फसलों के जरिए किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है, हाल ही में कटहल, लीची जैसी फसलों का निर्यात होने के बाद आम की कई किस्मों का निर्यात किया गया है। गिर का प्रसिद्ध केसर आम का स्वाद गुजरात और भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में पहले भी चखा जा चुका है। कोरोना महामारी के बावजूद दुनिया में केसर आम के प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ। इस साल इटली समेत यूरोपीय देशों को 100 टन केसर आम का निर्यात होने की उम्मीद है। आपको बता दें, हाल ही में तलाला-गिर से 14 टन केसर आम का इटली को निर्यात किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *