पटना : पेगासस जासूसी मामले की जांच होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। जासूसी मामले की जांच को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। साथ ही कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। यह एक्सपर्ट कमेटी कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी अपना काम करेगी। कोर्ट ने कमेटी को कहा है कि पेगासस से जुड़े आरापों की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। मामले में अब आठ हफ्ते के बाद सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट- किसी की भी प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी की भी प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए। इससे पहले याचिकाकर्ता ने कहा था कि मिलिट्री ग्रेड के स्वाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से उल्लंघन बताया था। इसको लेकर कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जियां दाखिल की थीं।
क्या है पेगासस विवाद
दरअसल, इजरायली कंपनी एनएसओ (NSO) के जासूस सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी की गई है। भारत में 300 लोगों की जासूसी का अब तक मामला सामने आया है। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अधिकारी, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट हैं।
कैसे काम करता है जासूसी सॉफ्टवेयर
पेगासस जासूसी साफ्टवेयर किसी डिवाइस में इंस्टॉल करने के लिए हैंकर्स कई रास्ते अपनाते हैं। सबसे आसान तरीका है कि टारगेट डिवाइस पर मैसेज के जरिए एक एक्सप्लॉइट लिंक भेजी जाती है। यूजर जब इस लिंक पर क्लिक करता है तो पेगासस खुद-ब-खुद इंस्टॉल हो जाता है। 2019 में व्हाट्सएप के माध्यम से डिवाइसों में पेगासस इंस्टॉल किया गया था। हैकर्स ने अलग-अलग तरीका अपनाकर ऐसा किया था। विशेषज्ञों के अनुसार तब हैकर्स ने व्हाट्एस के एक फीसर्च की कमी का फायदा उठाकर ऐसा किया था। हैकर्स ने व्हाट्एस के वीडियो कॉल फीचर के जरिए टारगेट डिवाइस में पेगासस इंस्टॉल किया था।