1990 के चुनाव के बाद बदली बिहार की राजनीत, राष्ट्रीय दलों पर हावी हुईं क्षेत्रीय पार्टियां

पटना : कोरोना संक्रमण होने के बाद भी बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बुधवार को 54.01 प्रतिशत वोटिंग हुई। जबकि बिहार में सामान्य दिनों में 1990 के चुनाव के बाद से राष्ट्रीय दल भी घटे और उनका वोट भी। राष्ट्रीय दलों का वोट आधा हो गया है। यही कारण है कि यहां राष्ट्रीय दलों की संख्या घटी। वहीं, क्षेत्रीय दल मजबूत हुए। 1990 के चुनाव के बाद कांग्रेस का वोट घटा तो भाजपा का बढ़ता गया। तब 8 राष्ट्रीय दलों ने चुनाव था।

भाजपा, कांग्रेस, जनता दल, सीपीआई, सीपीएम, आईएससी, जेएन (जेपी) और लोक दल (बी) चुनावी मैदान में आए थे। इन सबने 72.45 प्रतिशत वोट पाया था। जनता दल को 25.61 प्रतिशत सबसे ज्यादा वोट मिला था। कांग्रेस को 24.47 प्रतिशत और भाजपा को 11.6 प्रतिशत वोट मिला था। राष्ट्रीय दलों का वोट 1995 के चुनाव के बाद घटकर 70 प्रतिशत पहुंच गया। जबकि जनता दल के वोटिंग प्रतिशत में इजाफा हुआ। इसकी वोटिंग प्रतिशत 28 हो गई। भाजपा की वोटिंग प्रतिशत 13 गई। दूसरी ओर कांग्रेस की वोटिंग प्रतिशत घटकर 16 प्रतिशत हो गई। 2000 के चुनाव में राष्ट्रीय दल सिर्फ 39 प्रतिशत वोट पाए। भाजपा को सबसे अधिक 15 प्रतिशत वोट मिले।

2010 में भाजपा को वोटिंग प्रतिशत 16.5 पर पहुंच गया
जबकि 2005 के चुनाव में आठ से घटकर राष्ट्रीय दल छह हो गए। इनकी वोटिंग प्रतिशत भी कम हो गई और 29.4 प्रतिशत पर आ गई। 2005 की फरवरी के उप चुनाव में तो 29.4 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2010 के चुनाव में भाजपा का वोट बढ़ा और 16.5 प्रतिशत हो गया। कांग्रेस 8.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। राष्ट्रीय दलों का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा और 32 प्रतिशत पर पहुंचा।

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