रघुवंश भाई नहीं रहे… इस खबर पर यकीन नहीं हो रहा था : शिवानंद तिवारी

पटना : रघुवंश भाई नहीं रहे… इस खबर पर यकीन नहीं हो रहा था। यह कहना है राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का। इन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला है, जिसमें अपने और रघुवंश बाबू के बीच हाल में हुई बातचीत का जिक्र किया है। शिवानंद तिवारी ने लिखा है- कोरोना का इलाज कराकर जब पटना एम्स से निकले थे तो उनसे बात हुई थी। कहने लगे कि जान बच गई। पुनः दिल्ली एम्स में भर्ती होने की खबर पढ़कर उनको फोन लगाया था। बताने लगे कि खांसी से परेशानी होने लगी थी। डॉक्टर की सलाह पर एक्स-रे कराया। छाती में दाग नजर आया, उसके बाद उदयन अस्पताल में सीटी स्कैन कराया। सीटी स्कैन कराकर घर लौट रहे थे तो रास्ते में नीतीश का फोन आया। नीतीश जी ने कहा कि पटना में क्या कर रहे हैं? दिल्ली जाइए। वहीं, इलाज करवाइए, उसके बाद अगले ही दिन दिल्ली आए और हवाई अड्डे से ही सीधे एम्स चले आए। पता चला कि पटना से जाने के बाद लगातार वे एम्स में ही थे। हालांकि डॉक्टर ने छुट्टी दे दी थी, लेकिन भीतर से स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे थे। इसलिए एम्स में ही रह गए। बातचीत में कहीं नहीं लगा कि उनकी हालत इतनी गंभीर है।


हाथ से लिखी उन चिठ्ठियों को पढ़ने के बाद कौन यकीन कर सकता था कि वे दुनिया को छोड़ कर जाने वाले हैं
अभी तीन दिन पहले उनके भतीजे ने बताया कि उनका ऑक्सीजन लेवल कम हो गया था। इसलिए उनको आईसीयू में ले जाय गया है। परसों उनके लड़के प्रकाश से बात हुई। उन्होंने बताया कि इधर की सारी चिठ्ठियां रघुवंश बाबू ने आईसीयू से ही लिखी थी। घर से लेटरपैड मंगवाकर मुख्यमंत्री को चिठ्ठियां लिखीं। हाथ से लिखी उन चिठ्ठियों को पढ़ने के बाद कौन यकीन कर सकता था कि वे दुनिया को छोड़ कर जाने वाले हैं!

एक बेदाग मंत्री, जिसके चरित्र पर किसी विरोधी ने कभी उंगली नहीं उठाई
रघुवंश भाई को मंत्री के रूप में भी मैंने संसद में देखा है। ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में मनरेगा योजना इन्हीं के कार्यकाल में तैयार हुई थी। उस योजना के प्रति उनके लगन और निष्ठा के लिए सबलोग उनकी इज्जत करते थे। विभागीय सवालों का जवाब देने में उनको किसी सहायता की जरूरत महसूस करते मैंने नहीं देखा। किसी भी सवाल का इतना विस्तार से जवाब देते थे कि सवाल पूछने वाला हाथ जोड़ देता था। एक बेदाग मंत्री, जिसके चरित्र पर किसी विरोधी ने भी कभी उंगली नहीं उठाई। हम कह सकते हैं कि रघुवंश भाई राजनीति में विलुप्त हो रही पीढ़ी के नेता थे। अब नए लोग अपने बूढ़े-बुजुर्गो से ऐसे नेता की कहानियां सुना करेंगे। ऐसे रघुवंश भाई की स्मृति में मैं श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूं।

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