अचानक से एक बात याद आ रही है तकरीबन डेढ़-दो बरस पहले सपनें में देखा था कि पूरे शहर में रात है और सब दुकानें बंद हैं. उस वक्त मैं दिल्ली रहती थी और मेरे घर के सामने ISCON मंदिर में भी पट बंद है कोई नहीं दिख रहा है और मैं अपनी स्कूल वाली साइकिल पर बैठी हूँ. मुझे अपने घर का रास्ता नहीं मिल रहा है.
बहुत परेशान हूँ कि तभी मैं कहीं से अपने बचपन के शहर सीतामढ़ी आ गई हूँ और मेरे घर के सामने वाला मस्जिद अब दिख गया है. वहाँ पर कोई नहीं है और मैं अन्दर भागती हूँ. मेरा हाथ-पांव कुछ नहीं हरकत में है अब मगर मेरी आवाज बहुत कोशिशों के बाद या अल्लाह पुकारती है. ये बोलना था कि मुझे लगा कुछ भी हो अब सब ठीक हो जाएगा.
एक तोता जो मस्जिद के मीनार पर था मेरी साइकिल पर आकर बैठ गया है और मैं अचरज से उसे देखती हूँ. मैं भागती हुई साइकिल के पास जाती हूँ और साइकिल की कैरियर पर बैठ जाती हूँ और तोता साइकिल ये सपना आज बार-बार आँखों के सामने फ्लैश हो रहा है!चलाने लगता है. थोड़ी देर में मुझे महसूस होता है कि मैं हवा में उड़ रही हूँ और चारो ओर एक जन्नती सुकून है. मुझे तोता उड़ा ले जा रहा है साइकिल से कि तभी मेरा सपना टूट जाता है! मैं स्वप्न-विज्ञान में यकीन करती हूँ और उनके रहस्यों में भी. अभी तक इस सपने की एनालिसिस कर रही हूँ और और ये सपना आज बार-बार आँखों के सामने फ़्लैश हो रहा है!
(यह पोस्ट लेखक/कवि/माॅडल प्रेमा झा के फेसबुक वाल से लिया गया है।)