1 बेड पर 3 मरीजों का इलाज, 13 बेड पर 40 बच्चे भर्ती, ऐसी है मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था

पटना: मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है। प्रदेश के सरकारी अस्पताल में एक बेड पर तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वो भी तीन गंभीर मरीरों का इलाज चल रहा है। यहां बच्चे तेजी से बीमार पड़ रहे हैं। अस्पतालों में बेड फुल हो गए हैं। बच्चे डेंगू, वायरल बुखार और निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं। यही कारण है कि राज्य स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग ने एक महीने में बेडों की संख्या 526 से बढ़ाकर 1050 कर दी, लेकिन अब भी बेड कम पड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर में पिछले महीने वायरल बुखार से तीन बच्चों की मौत हुई थी। इसके अलावा किसी बच्चे की कहीं मौत नहीं हुई है।

अस्पताल की क्षमता से 150 फीसदी ज्यादा मरीज भर्ती
जबलपुर के सुभाषचंद्र बोस सरकारी अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में 40 बेड की क्षमता है। जबकि यहां 70 बच्चे भर्ती हैं। आईसीयू में कोई जगह नहीं है। 70 बच्चों में सात बच्चों को डेंगू है। जबकि अन्य बच्चे निमोनिया और वायरल बुखार से ग्रसित हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आर तिवारी ने बताया कि सितंबर में वायरल बुखार और निमोनिया से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ी है। यही कारण है कि पीकू वार्ड में जगह नहीं है। अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल की क्षमता से 150 फीसदी ज्यादा बच्चे भर्ती हैं।

इंदौर के चाचा नेहरू अस्पताल में 100 में से 80 बेडों पर बच्चे भर्ती
मध्यप्रदेश के लगभग सभी शहरों की स्थिति एक जैसी है। इंदौर के चाचा नेहरू चिल्ड्रेन अस्पताल के 100 में से 80 बेडों पर बच्चे ही भर्ती हैं। अस्पताल के पीकू वार्ड में 40 बेडों पर 55 बच्चों का इलाज चल रहा है। इंदौर के बिचोलिया हाप्सी निवासी योगिता शर्मा ने बताया कि उनके छह साल के बच्चे को शरीर में खुजली हो रही है। तेज बुखार भी है। इधर, अस्पताल का पीकू वार्ड फुल है तो वह घर में ही बच्चे का इलाज करा रहीं हैं। योगिता ने कहा कि अस्पताल में बच्चे का बेड शेयर करने का रिस्क नहीं ले सकती। मुरैना के जिला अस्पताल के पीकू वार्ड में 13 बेडों पर 40 बच्चों का इलाज चल रहा है। अस्पताल में अब बच्चों को भर्ती ही नहीं लिया जा रहा है।

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