लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने माफिया और दंगाइयों के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद कई जगह कार्यकर्ता इसी पर झूमते हुए जश्न मनाते दिखे। कई रैलियों में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वागत के लिए बुलडोजर खड़े देखे गए। अब तो शादी में भी बुल्डोजर की ही चर्चा होने लगी है। दरअसल, हमीरपुर के भरुआ सुमेरपुर में बुलडोजर प्रेम का एक दिलचस्प मामला सामने आया है। एक शादी में लड़की वालों ने लड़के को बुलडोजर दिया है, बड़ी बात यह कि लड़के का नाम योगेंद्र उर्फ योगी है।
योगेंद्र उर्फ योगी के ससुर और नेता के पिता सोच रहे थे कि कुछ ऐसा करें कि अगर बेटी की नौकरी न भी लगे तो कम से कम उसकी आय होती रहे और वह ससुराल वालों की मदद भी कर सके। अचानक बुलडोजर का ख्याल आया और किश्तों पर खरीद लिया। जब उनसे पूछा गया कि दामाद तो बाहर रहेंगे तो बुलडोजर किसकी देखरेख में चलेगा तो परशुराम ने बताया कि इसकी जिम्मेदारी वह खुद उठाएंगे। जो भी आमदनी होगी उसे बेटी को सौंप देंगे। इससे लगातार आय होगी और बेटी के ससुराल वाले भी खुश रहेंगे।
नेहा की शादी 15 दिसंबर को सौंखर निवासी नेवी में जॉब कर रहे योगेंद्र उर्फ योगी प्रजापति के साथ हुई है। शादी समारोह सुमेरपुर के एक गेस्ट हाउस से संपन्न हुआ। इसमें रिटायर्ड फौजी ने बेटी को दहेज में कोई लग्जरी कार नहीं बल्कि बुलडोजर दिया है। 16 दिसंबर को जब बेटी बुलडोजर के साथ विदा हुई तो लोग देखते रह गए। परशुराम प्रजापति का कहना है कि बेटी अभी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। अगर नौकरी नहीं लगी तो, इससे रोजगार मिल सकेगा। वहीं योगी को मिले बुलडोजर की चर्चा लोगों की जुबान पर है।
नेवी में जाब कर रहे योगेंद्र उर्फ योगी का कहना है कि वह नौकरी कर रहे हैं। वह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। घरवालों ने मर्जी से शादी की है। उन्होंने दहेज लेने से मना कर दिया था। साथ ही, किसी भी तरह की मांग नहीं की थी, लेकिन ससुर साहब ने उन्हें बुलडोजर का सरप्राइज दिया है। खबर फैलते ही योगी के घर लोग बुलडोजर देखने को पहुंच रहे हैं। योगेंद्र ने बताया कि बुलडोजर रोजगार भी मिल गया है। उसे पहले दिन बिवांर में पाइप लाइन की खोदाई के लिए लगाया गया है।
सिविल सेवा की तैयारी कर रही है नेहा
नेहा के पिता परशुराम ने बताया कि बेटी सिविल सेवा की तैयारी कर रही है। वह बेटी-दामाद को कुछ देना चाहते थे। पहले सोचा कि पैसे दे दें, फिर लगा कि पैसे तो खर्च कर हो जाएंगे। इसके बाद कार का विचार आया, लेकिन यह भी लगा कि दामाद तो नौकरी के सिलसिले में बाहर रहेंगे और कार खड़ी ही रहेगी।