पटना : सूबे के मंदिर और मठों की 29500 एकड़ जमीन राष्ट्रीय संपत्ति घोषित की जाएगी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह निर्णय लिया है। विभाग ने कहा कि इन जमीनों को कब्जाधारियों से मुक्त कराया जाएगा। मंगलवार को विधि विभाग और राजस्व व भूमि सुधार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद की बैठक हुई। इसमें राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि तत्काल प्रभाव से मठ-मंदिरों की जमीन की बिक्री पर रोक लगेगी। अवैध तरीके से खरीदी गई जमीन की जमाबंदी रद्द की जाए। मंत्री ने अनुरोध किया कि धार्मिक न्यास परिषद अंतर्गत वाली जमीन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, धार्मिक न्यास पर्षद के तहत चिह्नित मठ-मंदिर की भूमि के बिक्री पर रोक लगाने व पूर्व में बिकी जमीन की जमाबंदी पर रद्द करने के संबंध में जल्द प्रस्ताव बने। धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन मठ-मंदिरों की भूमि प्रबंधन और उनको अतिक्रमण से बचाने पर चर्चा की गई। न्यास पर्षद के अध्यक्ष एके जैन ने कहा कि मठ-मंदिर की जमीन का ओनरशिप ईष्टदेव के नाम किया जाए। मंत्री ने कहा कि हज भवन की तरह ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद का अपना भवन होगा।
मंदिर-मठों की देखरेख को बनेगी कमेटी, पुजारी की होगी नियुक्ति
बैठक में उपस्थित विधि व गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि सीओ, मुखिया, प्रमुख और अन्य जनप्रतिनिधि और प्रबुद्ध लोगों की कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी के सदस्य इन जमीनों की देखरेख करेंगे। जमीन के प्रयोग को लेकर यही कमेटी ऑनलाइन टेंडर निकालेगी। मंदिर के पुजारी का चयन भी कमेटी करेगी। कमेटी से पुजारी को वेतन मिलेग। उनके रहने की व्यवस्था होगी।