·रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि अब विधि की पढ़ाई होगी भारतीय भाषाओं में
·हिंदी विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत महोत्सव में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा 801 स्नातकों को उपाधि प्रदान की
वर्धा: केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय विश्वभर में पहुंचेगा। मंत्री शुक्रवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के चतुर्थ दीक्षांत महोत्सव को बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज जो लोग उपाधि लेकर योद्धा की तरह इस विश्वविद्यालय से निकल रहे हैं, उस पर गांधी जी की मुहर है। यह विश्वविद्यालय गांधी के सपनों का जीवंत प्रतीक और शक्ति का पुंज है। मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय तक्षशिला और नालंदा जैसा ज्ञान का वैश्विक केंद्र बनेगा। उन्होंने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की कि हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा विधि की पढ़ाई हिंदी माध्यम से शुरू करने जा रहा है। भारतीय भाषाओं में अब अभियांत्रिकी, चिकित्सा और विधि की पढ़ाई संभव होगी। गांधी जी ने कहा था कि राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा होता है। उन्होंने कहा कि गांधी की नई तालीम से प्रेरित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मातृभाषाओं में शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए संकल्पबद्ध है। एक भाषा में संचित ज्ञान राशि को दूसरी भाषा में लाने की दृष्टि से हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित भारतीय अनुवाद संघ से बहुत आशाएं हैं। अब तक अनुवाद संघ से 64 भाषाओं के 1100 से अधिक अनुवादकों का जुड़ना हर्ष का विषय है।
दुनिया में जहां भारतवंशी हैं, उनके पास हिंदी विवि वर्धा को पहुंचाना होगा
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि आज महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय का दायित्व बहुत बढ़ गया है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में आज भारतीय भाषाएं और हिंदी से अपेक्षा और उसकी संपूर्ति की अपूर्व संभावनाएं उपस्थित हो गई हैं, जिस प्रकार राष्ट्रीय क्षितिज पर ये अपूर्व और अपार संभावनाएं उदित हो रही हैं, उसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर उनका प्रदीप्त उन्मेष स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है। उन्होंने कहा कि सारे विश्व में जहां भी भारतवंशी विद्यमान हैं, उनके पास महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा को पहुंचना ही होगा। हिंदी और भारतीय भाषाओं को अपनी गौरवमयी ज्ञान-परंपरा को सहेजते हुए नवीनतम और आविष्कृततम ज्ञान की ऊर्जा को ग्रहण करना होगा और नई दिशा में अपनी परंपरा के अनुसार विकसित कर विश्व के लिए प्रस्तुत करना होगा, जो एक नए विश्व के निर्माण का मार्ग प्रस्तुत कर सके।
ऑनलाइन क्लास में 90% से अधिक विद्यार्थी हुए शामिल
कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि कोरोना कालखंड में विश्वविद्यालय का परिसर कोरोना से मुक्त रहा है। विश्वविद्यालय ने 17 मार्च, 2020 से ही ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की और 90 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी कक्षाओं में शामिल हुए। दुनिया के तमाम देशों के विद्यार्थियों के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की सहमति के आधार पर विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन शिक्षण प्रदान करने का काम किया। इस कालखंड में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने वर्धा जिले के 10 से अधिक गांवों का सर्वे कर 400 पृष्ठों की रिपोर्ट तैयार की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने सामाजिक संपर्क और उत्तरदायित्व का परिचय देते हुए कोरोना काल में दो हजार से अधिक जरूरतमंद लोगों की मदद की है। विश्वविद्यालय ने कोरोना के नियमों का शत प्रतिशत पालन करते हुए 11 से अधिक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार हिंदी माध्यम से संपन्न कराया, जिसमें 10 देशों के अध्यापकों ने हिंदी में अपनी बात रखी।
विद्यार्थियों को ऑनलाइन ही दी उपाधि
कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने ऑनलाइन माध्यम से 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक व 801 स्नातकों (जिसमें 117 विद्यार्थियों को पीएचडी, 43 विद्यार्थियों को एमफिल., 453 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर तथा 188 विद्यार्थियों को स्नातक) को उपाधि प्रदान की। दीक्षांत महोत्सव में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रमोद येवले, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीधर चांदेकर, कार्य परिषद के सदस्य प्रो. योगेंद्रनाथ शर्मा, विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति द्वय, अधिष्ठाता गण, विभागाध्यक्ष गण, कुलसचिव तथा कार्य परिषद तथा विद्या परिषद के सदस्य ऑफलाइन एवं ऑनलाइन शामिल हुए। विश्वविद्यालय का यह 24वा स्थापना दिवस भी था। सुबह 10 बजे कुलाधिपति प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय का ध्वज फहराया। कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल समेत विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित थे।