NEW Dehi : अब तक हम सबने इंसानों के शानदार रिटायरमेंट की खबरें सुनी और पढ़ी हैं। मेलेट्री, खुफिया विभाग और पुलिस के स्नफिर डॉग के भी रिटायरमेंट की तस्वीरें देखी हैं, लेकिन अब आपको एक चूहे की ऐतिहासिक रिटायरमेंट की जानकारी दे रहे हैं। यह कोई आम चूहा नहीं, बल्कि हजारों लोगों की जान बचाने वाले चूहे की वीरता की कहानी है। दरअसल, कुदरत और धार्मिक स्थलों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध कंबोडिया में गृहयुद्ध के दौरान जंगलों में हजारों बारूदी सुरंगे बिछाई गईं थी। इन जंगलों से गुजरने वाले लोगों के पैर पड़ते ही बारूद फटना शुरू हो जाते थे और लोगों की जान चली जाती थी। इसको लेकर पूरी दुनिया में चिंता थी। कारण था विश्व प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर, जहां दुनिया भर से लोग पूजा के लिए पहुंचते हैं। इसके रास्ते में ही बारूदी सुरंग पड़ते थे। मागाबा कंबोडिया में एक स्निफर रैट हे। ऐसे में बेल्जियम के एक चैरिटी ऑर्गनाइजेशन एपीओपीओ को एक तरकीब सुझी। उसने तंजानिया से एक खास नस्ल के कुछ चूहे खरीदे। इन चूहों में सूंघने की जबर्दस्त क्षमता थी। एपीओपीओ के वॉलेंटियर्स ने इन्हें ट्रेंड किया। फिर चूहे मागाबा को कंबोडिया भेजा। इनके साथ वॉलेंटियर भी गए।
पांच साल में हजारों लोगों की बचाई जिंदगी
एपीओपीओ के प्रोग्राम मैनेजर माइकल हेमेन ने बताया कि 71 लैंडमाइंस और 38 विस्फोटकों का पता लगाने वाला मागाबा थक चुका है। उसकी उम्र सात साल है। पांच साल में उसने 2.25 लाख स्वायर मीटर में काम करके हजारों लोगों की जान बचाई। यह 42 फुटबॉल मैदान के बराबर एरिया है। माइकल हेमेन ने बताया कि हमने चूहे को रिटायर करने का फैसला ले लिया है। अब ये चूहे अपने पसंदीदा केले और पीनट्स खाने के लिए आजाद हैं।
2016 में मागाबा को लाया गया था कंबोडिया
चूहे मागाबा को दो साल की उम्र में 2016 में कंबोडिया लाया गया था। कंबोडिया आने से पहले वह तंजानिया की कैमेकिल फैक्ट्री के लिए काम करता था। पिछले साल सितंबर में मागाबा को रोडेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा भी वह कई सम्मान पा चुका है। इस चूहे के ट्रेनर ने बताया कि वो तय एरिया में ही घूमता है। उसके साथ वॉलेंटियर रहते हैं। जहां भी उसे शक होता है कि विस्फोटक या लैंडमाइन है, वो जमीन को खोदना शुरू कर देता है। हेमेन ने कहा कि हमें उसकी बहुत याद आएगी।