पटना : राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के कोविड-19 से जुड़े कार्य समूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि कोविशील्ड के टीके की खुराकों के अंतराल की समीक्षा करेगा। फिर नए आंकड़ों के आधाार पर उचित कदम उठाए जाएंगे। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि कोविड-19 और टीकाकरण से जुड़ी स्थिति बहुत परिवर्तनशील है। उन्होंने कहा कि आंशिक टीकाकरण बनाम पूर्ण टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में सामने आ री रिपोर्ट पर विचार किया जा रहा है। डॉक्टर ने यह भी कहा कि कोविशील्ड (Covishield) की एक डोज कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर 61 प्रतिशत प्रभावी है। दोनों डोज लेने के बाद यह 65 प्रतिशत तक प्रभावी होती है। डॉक्टर एनके अरोड़ा ने यह भी कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों में अंतराल को 4-6 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक आधार पर लिया गया था। इस पर एनटीएजीआई के सदस्यों में मतभेद नहीं थे।
टीके की खुराक में अंतराल कम होना लोगों के लिए फायदेमंद
डॉक्टर ने बताया कि टीके की खुराक में अंतराल कम किया जाना लोगों के लिए फायदेमंद है। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने का आधार एडेनोवेक्टर टीकों से जुड़े बुनियादी कारण थे। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने अप्रैल के अंतिम हफ्ते में आंकड़े जारी कर बताया था कि टीके की खुराक के बीच 12 हफ्तों का अंतराल होने पर इसकी प्रभावशीलता 65 से 68 प्रतिशत के बीच रहती है। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस कारण ही ब्रिटेन अल्फा वेरिएंट के संक्रमण से बाहर निकला। ब्रिटेन में टीके की खुराकों के बीच 12 हफ्तों का अंतर था। इसको देखते हुए भारत में ही 12 से 16 हफ्तों का अंतराल रखने का निर्णय लिया गया। केंद्र सरकार ने 13 मई को यह फैसला लिया।
4 हफ्तों के अंतराल पर टीका लेने पर 57% व 8 हफ्तों के अंतराल पर टीका लेने पर 60% प्रभावी
डॉक्टर अरोड़ा ने बताया कि हमने शुरुआत दौर में टीकों के बीच अंतराल परीक्षण डेटा के आधार पर किया था। बाद में हमें इससे जुड़े वैज्ञानिक और लैब संबंधी आंकड़े मिले। इसके बाद हमने टीके की खुराक के बीच छह सप्ताह या उसके बाद का अंतराल तय करने का निर्णय लिया। अलग-अलग अध्यययन से पता चला कि चार सप्ताह के अंतराल पर टीका लगाने पर यह 57 प्रतिशत प्रभावशाली होता है। वहीं, आठ सप्ताह के अंतराल पर टीका लेने पर यह करीब 60 प्रतिशत प्रभावी होता है।