पटना : बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह का गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया। 25 फीट ऊंचे इस स्तंभ की स्थापना मुख्य भवन के 100 साल पूरे होने पर किया जा रहा है। यहां राष्ट्रपति ने बोधिवृक्ष का पौधा भी लगाया। राष्ट्रपति ने कहा कि विधानसभा ने शराबबंदी लागू किया। इस अधिनियम को कानून का दर्जा देने का गौरव मुझे भी मिला। बिहार लोकतंत्र की धरती है। यहां वैशाली में लोकतंत्र फला-फूला। इसी धरती पर नालंदा, विक्रमशीला जैसे शिक्षण संस्थान थे, जहां आर्यभट्ट और चाणक्य हुए। अब इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी बिहारवासियों की है। राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार आता हूं तो अच्छा लगता है। बिहार से अलग नाता लगता है। यहां आने पर लगता है जैसे अपने घर आया हूं। रामनाथ ने कहा कि बिहार हमेशा इतिहास रचता है। आज भी इतिहास ही रचा गया है। देश ने 100 करोड़ कोरोना वैक्शीनेशन पूरा किया है।
राज्यपाल फागू चौहान बोले- बिहार विधानसभा ने इतिहास के कई दौर देखे
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि बिहार विधानसभा ने इतिहास के कई दौर देखे हैं। बिहार विधानसभा बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने से पहले बिहार-ओडिशा विधान परिषद भवन था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दो साल यहां के राज्यपाल रहे। इसके बाद वह राष्ट्रपति हुए, इसलिए हमलोग आज भी उन्हें बिहारी ही मानते हैं। इनसे पहले जाकिर हुसैन यहां के राज्यपाल से राष्ट्रपति बने थे। हालांकि यहां से जाने के बाद वह उप राष्ट्रपति बने और फिर राष्ट्रपति बने थे।
विधानसभा अध्यक्ष बोले-यह भवन 100 वर्षों की विधायी यात्रा का प्रतीक
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि यह भवन 100 वर्षों की विधायी यात्रा का प्रतीक है। यह कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी रहा है। अध्यक्ष ने कहा कि हमें जाति-धर्म और लिंग भेद को भुलाकर अपनी विरासत को आगे बढ़ाना है। इससे पहले राज्यपाल ने विधानसभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया। स्मारिका की पहली कॉपी राष्ट्रपति को सौंपी। स्मारिका में विधानसभा के 100 वर्षों के सफर को बताया गया है।