पटना। पिछले चुनाव में मोदी का हनुमान कहकर नीतीश कुमार से खुलेआम पंगा लेने वाले स्वर्गीय रामविलास पासवान के पुत्र व लोजपा नेता चिराग पासवान केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। राजनीतिक गलियारों की खबरों की मानें तो चिराग का वनवास अब खत्म होता दिख रहा है और जल्द ही उन्हें अपने राम यानी नरेंद्र मोदी का साथ मिलने वाला है।
खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान राम और खुद को उनका हनुमान बताने वाले सांसद चिराग पासवान की तपस्या जल्द पूरी हो सकती है। चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर बातचीत फाइनल हो चुकी है। हिंदू मान्यताओं के तहत भादो और पितृपक्ष में कोई शुभ काम नहीं होता, इसलिए संभवतः वह अक्टूबर में वह शपथ ले सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो रामविलास के निधन के 2 साल बाद चिराग उनके वारिस के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होंगे।
चिराग पासवान के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की बात पर बिहार के भाजपा नेताओं का कहना है कि यह पूरा मामला केंद्रीय नेतृत्व का है, लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी यानी रामविलास की पार्टी की तरफ से चिराग की होने वाली ताजपोशी की खबर पर मुहर लगाई है।
6% वोटबैंक के लिए भाजपा मान सकती हैं शर्तें!
नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन से हाथ मिलाने के बाद बिहार में भाजपा अकेली पड़ गई है। जदयू से दूरी को काफी हद तक भरपाई रामविलास पासवान की पार्टी और उनके बेटे चिराग पासवान ही कर सकते थे। पुराने सहयोगी होने की वजह से चिराग को एनडीए में आने से कोई परहेज नहीं था, लेकिन कुछ शर्तें थीं। भाजपा ने अधिकतर शर्तों को मान लिया है। बता दें कि चिराग पासवान के पास राज्य का छह फीसदी वोटबैंक है और अगर वे साथ आते हैं तो निश्चित हो भाजपा को इससे फायदा मिलेगा।
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विनीत सिंह ने भी माना कि चिराग पासवान के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की खबर में पूरा दम है। भादो और पितृपक्ष बाद निश्चित तौर पर खुशखबरी आएगी। फिर आधिकारिक तौर पर सबको इसकी जानकारी दी जाएगी।
एनडीए में शामिल होने के लिए चिराग पासवान की सबसे बड़ी शर्त चिराग के चाचा व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाने की थी। इस पर कम ही संभावना है कि भाजपा माने, क्योंकि पशुपति के साथ चार और सांसद हैं। अगर रामविलास का परिवार अलग-अलग होकर लोकसभा में लड़ता है तो एनडीए को ज्यादा फायदा नहीं होगा। भाजपा चिराग को इस पर मना सकती है। हालांकि, इस पर बात बनी है या नहीं, दोनों तरफ की सीनियर लीडरशिप इस पर कुछ नहीं बोल रही है। चिराग और उनके चाचा दोनों ही एनडीए के साथ आ जाते हैं तेा कुछ हद तक नीतीश का खालीपन दूर किया जा सकता है।