डेल्टा + को लेकर अलर्ट; एम्स बोला- RT-PCR में नहीं पकड़ाएगा, डेल्टा प्लस की यह है पहचान

पटना : कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस (Delta Plus) वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी हुआ है। पटना एम्स ने इसके बचाव को लेकर कुछ निर्देश दिए हैं। पटना एम्स के ट्रॉमा इमर्जेंसी के एचओडी डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि कोरोना के हर मरीज को जेनेटिक जिनोम सिक्वेंसिंग करानी होगी। वायरस का नया स्ट्रेन मिलने पर संबंधित पूरे इलाके को लॉक करना ही उचित होगा। डॉक्टर ने यह भी कहा कि डेल्टा प्लस को लेकर ट्रैकिंग, टेस्टिंग के साथ वैक्सीनेशन पर भी गंभीर होना पड़ेगा। डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि वायरस खुद को जिंदा रखने के लिए अपना आकार बदलता रहता है। वायरस का अब नया आकार डेल्टा प्लस है। इससे पहले अल्फा, गामा और डेल्टा वैरिएंट था। डॉक्टर के नअुसार डेल्टा का स्पाइक प्रोटीन का म्यूटेशन हुआ है। इसे हम K4179N म्यूटेशन कहते हैं। इसी म्यूटेशन के कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट आया है। इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न कहा जाता है। इस नए स्ट्रेन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न तब कहेंगे, जब डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन को लात मार दे। मतलब वैक्सीन वायरस के नए स्ट्रेन पर काम नहीं करे।

डेल्टा प्लस से संक्रमित होने की पहचान
-संक्रमित के सिर में दर्द।
-संक्रमित की नाक से पानी आना।
-संक्रमित के गले में खराश होना।
-मरीज का जल्दी सिक हो जाना।
-संक्रमित का जल्दी से कम समय में सीरियस हो जाना।
-इन मरीजों का आईसीयू की ज्यादा जरूरत होती है।

डेल्टा प्लस का नहीं पकड़ पाएगा आरटी-पीसीआर
डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि आरटी-पीसीआर जांच में डेल्टा प्लस पकड़ में नहीं आएगा। इस जांच में यह पता नहीं चल सकेगा कि यह वैरिएंट डेल्टा है या फिर डेल्टा प्लस वैरिएंट। इसे पता लगाने के लिए जिनोम सिक्वेंसिंग करना होता है। जिनोम सिक्वेंसिंग में वायरस की जीन मैपिंग के बाद यह पता चल सकता है कि वायरस का वैरिएंट क्या है? वायरस में कितना म्यूटेशन हुआ है। डेल्टा प्लस से संक्रमित पर वैक्सीन कितना असरदार है, यह कहना फिलहाल मुश्किल है।

डेल्टा प्लस से बचने के लिए सरकार को सलाह
-जिन एरिया में डेल्टा प्लस के मरीज मिले, उस पूरे इलाके को तुरंत लॉक किया जाना चाहिए।
-लॉक इलाके को फिर से तेजी से अनलॉक नहीं करें।
-टेस्टिंग और ट्रैकिंग को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए।
-वैक्सीनेशन पर अधिक से अधिक जोर देना चाहिए।
-मास्क सबसे जरूरी चीज, हर किसी को पहनना ही चाहिए।
-कोई भी कोरोना मरीज हो, उसकी जेनेटिक जिनोमिक सिक्वेंसिंग होनी चाहिए।
-जेनेटिक जिनोमिक सिक्वेंसिंग से यह पता चलेगा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट ने मरीज को कितना प्रभावित किया है।

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