पटना : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। वहीं, कोरोना को फैलाने वाला चीन इस बीच चोरी-छिपे एक बार टेस्ट पूरा कर लिया है। चीन ने रीयूजेबल स्पेस ट्रांसपोर्टेशन की ओर अपना बड़ा कदम बढ़ाया है। स्पेस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने शुक्रवार को फिर से इस्तेमाल में लाए जाने लायक उपकक्षीय वाहन यानी स्पेस प्लेन का टेस्ट किया है। स्पेसक्राफ्ट ने जिक्वॉन सैटेलाइन लांच सेंटर से उड़ान भरी और 800 किलोमीटर दूर स्थित मंगोलिया क्षेत्र के एलक्सा लीग स्थित एयरपोर्ट पर लैंड हो गया। चीन एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन (सीएससी) ने यह जानकारी दी है। यह स्पेसक्राफ्ट क्रू और पेलोड्स दोनों को ले जाने में सक्षम है। वैसे स्पेस एजेंसी की ओर से चीन के इस टेस्ट से जुड़ी कोई भी तस्वीर या वीडियो साझा नहीं की गई है। स्पेस फ्लाइट की समयावधि की भी जानकारी नहीं दी गई है। इतना ही नहीं किस ईंधन तकनीक का इस्तेमाल हुआ है और स्पेस प्लेन ने कितनी ऊंचाई तक उड़ान भरी, उसकी भी जानकारी नहीं दी गई है।
2020 के सितंबर में भी किया गया था टेस्ट
रीयूजेबल एक्सपेरिमेंटल स्पेसक्राफ्ट की टेस्ट 2020 के सितंबर में किया गया था। उस समय भी उड़ान का तरीका यही था। रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2020 के टेस्ट को रीयूजेबल स्पेस कांसेप्ट की शुरुआत मानी गई थी। उस प्रोटोटाइप की भी कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी। अब चीनी स्पेस कंपनी ने कहा है कि इन दोनों मॉडल्स को एक साथ इस्तेमाल कर पूरी तरह से पुन: इस्तेमाल हो सकने वाला ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार किया जा सकता है। चीन ने 2017 में ही दुनिया के सामने इस बात के संकेत दिए थे कि वह 2020 में दोबारा इस्तेमाल किए जाने लायक स्पेसक्राफ्ट बनाने की मंशा रखता है। 2045 तक चीन न्यूक्लियर पावर से चलने वाला शटल बनाने की तैयारी में है।