पटना : कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट के लिए सबसे असरदार वैक्सीन कोवैक्सीन है। अमेरिका की स्वतंत्र जर्नल क्लीनिकल इंफेक्शियस डिसीस की स्टडी में यह दावा किया गया कि कोवैक्सीन भारत में मिले डबल म्यूटेंट कोरोना वैरिएंट के खिलाफ काफी हद तक प्रोटेक्शन देती है। कोवैक्सीन ब्रिटेन में मिले वैरिएंट समेत दूसरे स्ट्रेन को भी खत्म कर देती है। बता दें इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी कोवैक्सीन को लगभग सभी प्रमुख वैरिएंट पर असरदार बताया था। कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका है। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्या अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने हाल में कोवैक्सीन के तीसरे फेज की अंतरिम क्लिनिकल ट्रायल रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में भारत में बनी कोवैक्सीन को क्लिनिकली 78 प्रतिशत और कोरोना से गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर 100 प्रतिशत प्रभावी बताया है। कंपनी ने कोरोना के 87 सिंप्टम्स पर रिसर्च किया था। वायरस की तीसरी लहर के लिए 127 लक्षणों पर विश्लेषण किया गया। इसमें कोवैक्सीन की एफिकेसी 78 प्रतिशत मिली। भारत बायोटेक जून में अंतिम रिपोर्ट जारी करेगी। तीसरी लहर के लिए 18-98 साल के 25800 लोगों को शामिल किया गया है। इनमें 10 प्रतिशत 60 साल से अधिक उम्र के लोग हैं।
ट्रेडिशनल प्लेटफॉर्म पर बनी है कोवैक्सीन
कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने ट्रेडिशनल प्लेटफॉर्म पर बनाया है। इसमें इनएक्टिवेटेड वायरस के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। यह शरीर में बढ़ता नहीं है, लेकिन एंटीबॉडी जरूर तैयार करता है। उसके बाद पूरे वायरस को वह निशाना बनाता है। भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल्स के तीनों फेज में 27 हजार वॉलेंटियर्स का प्रयोग किया गय है। इस ट्रायल्स में यह स्पष्ट हो गया कि कोरोना के सभी स्ट्रेन के लिए कोवैक्सीन सबसे असरदार है।
कोवैक्सीन का वेस्टेज भी कम होता है
कोवैक्सीन या BBV152 एक व्होल वायरॉन इनएक्टिवेटेड SARS-coV-2 वैक्सीन है। इसे वेरो सेल्स से बनाया गया है। यह 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टेबल रहती है और रेडी-टू-यूज लिक्विड फॉर्मेशन में ट्रांसपोर्ट की जा रही है। यह फिलहाल वैक्सीन सप्लाई चेन चैनल्स के सबसे सही है। BBV152 के साथ 28 दिनों की ओपन वायल पॉलिसी भी है। जो वैक्सीन के वेस्टेज को 10-30 प्रतिशत तक कम करती है।